मनोज जैसवाल : नई दिल्ली. गृह मंत्रालय में एक और 'भेदिए' के होने का मामला सामने आया है। यूपी कैडर के सीनियर आईएएस सदाकांत को गृह मंत्रालय से हटाकर वापस उन्हें उनके मूल कैडर में यूपी भेज दिया गया है। गृह मंत्रालय में ज्वाइंट सेक्रेट्री (बॉर्डर मैनेजमेंट) सदाकांत के खिलाफ निजी कंपनियों को संवेदनशील सूचनाएं मुहैया कराने के आरोप सामने के बाद यह कार्रवाई की गई है।
एक टीवी चैनल ने सदाकांत को गृह मंत्रालय से बाहर किए जाने और यूपी कैडर वापस भेजे जाने का दावा किया है। चैनल का दावा है कि बीते 20 मार्च को ही सदाकांत के खिलाफ यह कार्रवाई की गई थी। सदाकांत के खिलाफ कैडर वापसी का फरमान जारी होने के तुरंत बाद ही नॉर्थ ब्लॉक स्थित उनके दफ्तर से सारा सामान हटा दिया गया। सीबीआई सदाकांत के निजी कंपनियों से रिश्तों की पड़ताल कर रही है। 1983 बैच के यूपी कैडर के आईएएस सदाकांत मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के निवासी हैं।
गृह सचिव जी के पिल्लई ने आज इस बारे में पूछे जाने पर पत्रकारों से कहा, 'सदाकांत को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते यूपी कैडर में वापस भेज दिया गया है। सीबीआई उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर रही है।'
सदाकांत के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोप लगे हैं। आरोप हैं कि सदाकांत ने नेशनल प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन के तहत एक प्रोजेक्ट में किसी प्राइवेट कंपनी की मदद कर रहे थे। गृह मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने इस मामले में सदाकांत से पूछताछ के लिए सीबीआई को मंजूरी दे ही है इसलिए उन्हें वापस उनके कैडर में भेज दिया गया।
सदाकांत 2007 में पांच साल के लिए केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आए थे और केंद्र में उनका कार्यकाल 2012 तक था लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद सीबीआई उनसे पूछताछ करना चाहती है, इसलिए पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सीनियर आईएएस अधिकारी को वापस उनके मूल कैडर में भेजना पड़ा।
इससे पहले गृह मंत्रालय में तैनात दो अधिकारियों को विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। पश्चिम बंगाल कैडर के आईएएस अधिकारी रवि इंदर सिंह को संवेदनशील सूचनाएं लीक करने के आरोप में बीते साल संस्पेंड कर दिया गया था। गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात ओ रवि को भी घूसखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई की छापेमारी के दौरान ओ रवि के घर से 50 लाख रुपए मिले थे। पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाली एक महिला अधिकारी माधुरी गुप्ता की गिरफ्तारी भी चौंकाने वाली थी। यह अधिकारी पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास में तैनात थी।
manojjaiswalpbt@gmail.com
एक टीवी चैनल ने सदाकांत को गृह मंत्रालय से बाहर किए जाने और यूपी कैडर वापस भेजे जाने का दावा किया है। चैनल का दावा है कि बीते 20 मार्च को ही सदाकांत के खिलाफ यह कार्रवाई की गई थी। सदाकांत के खिलाफ कैडर वापसी का फरमान जारी होने के तुरंत बाद ही नॉर्थ ब्लॉक स्थित उनके दफ्तर से सारा सामान हटा दिया गया। सीबीआई सदाकांत के निजी कंपनियों से रिश्तों की पड़ताल कर रही है। 1983 बैच के यूपी कैडर के आईएएस सदाकांत मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के निवासी हैं।
गृह सचिव जी के पिल्लई ने आज इस बारे में पूछे जाने पर पत्रकारों से कहा, 'सदाकांत को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते यूपी कैडर में वापस भेज दिया गया है। सीबीआई उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर रही है।'
सदाकांत के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोप लगे हैं। आरोप हैं कि सदाकांत ने नेशनल प्रोजेक्ट कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन के तहत एक प्रोजेक्ट में किसी प्राइवेट कंपनी की मदद कर रहे थे। गृह मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने इस मामले में सदाकांत से पूछताछ के लिए सीबीआई को मंजूरी दे ही है इसलिए उन्हें वापस उनके कैडर में भेज दिया गया।
सदाकांत 2007 में पांच साल के लिए केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर आए थे और केंद्र में उनका कार्यकाल 2012 तक था लेकिन भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद सीबीआई उनसे पूछताछ करना चाहती है, इसलिए पांच साल का कार्यकाल पूरा होने से पहले ही सीनियर आईएएस अधिकारी को वापस उनके मूल कैडर में भेजना पड़ा।
इससे पहले गृह मंत्रालय में तैनात दो अधिकारियों को विभिन्न आरोपों में गिरफ्तार किया गया है। पश्चिम बंगाल कैडर के आईएएस अधिकारी रवि इंदर सिंह को संवेदनशील सूचनाएं लीक करने के आरोप में बीते साल संस्पेंड कर दिया गया था। गृह मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात ओ रवि को भी घूसखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सीबीआई की छापेमारी के दौरान ओ रवि के घर से 50 लाख रुपए मिले थे। पाकिस्तान के लिए जासूसी करने वाली एक महिला अधिकारी माधुरी गुप्ता की गिरफ्तारी भी चौंकाने वाली थी। यह अधिकारी पाकिस्तान स्थित भारतीय दूतावास में तैनात थी।
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