आइये जानते है छोटे परदे ( टेलीविजन ) की बदलती दुनिया के बारें में

आइये जानते है छोटे परदे ( टेलीविजन )की बदलती दुनिया के बारें में
नोज जैसवाल : सभी पाठकों को मेरा प्यार भरा नमस्कार। आज की पोस्ट में मैं आपको जानकारी दूँगा। 'आइये जानते है छोटे परदे की बदलती दुनिया के बारें में' आज विश्व टेलीविजन दिवस है यह दिन है न सिर्फ टेलीविजन की विकासयात्रा को याद करने का, बल्कि यह समझने का भी कि टेलीविजन ने दुनिया को बदलने में किस तरह अपनी भूमिका निभायी है टेलीविजन के अब तक के सफर, समाज में उसकी भूमिका और उसमें आ रहे बदलावों को समेटने की कोशिश करता आज का आलेखआज की पीढ़ी को शायद यह विश्वास नहीं होगा कि महज दो तीन दशक पहले लोग टेलीविजन पर कार्यक्रम देखने के लिए आस पड़ोस के घरों में जाया
करते थे जिस तरह आज शहरों और सुविधासंपन्न गांवों में तकरीबन हर घर में टेलीविजन मौजूद है, ऐसा उस समय नहीं हुआ करता था अस्सी के दशक में देश में जब टेलीविजन ने उच्चवर्गीय घरों के दायरे से निकलते हुए मध्यवर्गीय परिवारों में प्रवेश किया, तो किसी को यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि इतनी जल्दी यह इतना लोकप्रिय हो जायेगा 1990 के महज एक दशक की अवधि में यह तकरीबन प्रत्येक मध्यवर्गीय घरों में लोकप्रिय हो गया

भारत में भले ही टेलीविजन की शुरुआत 1959 में हो चुकी थी, लेकिन इसकी लोकप्रियता 1980 के दशक में कायम हुई
रामानंद सागर निर्देशित धारावाहिक ‘रामायण’  1982 के एशियाई खेलों और 1987 में भारत में आयोजित ‘विश्व कप क्रिकेट’ ने भारत में टेलीविजन की लोकप्रियता को बहुत हद तक बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभायी धारावाहिक ‘रामायण’ के प्रसारण के समय तो सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था

इसे टेलीविजन की लोकप्रियता ही कहा जायेगा कि इस धारावाहिक में ‘भगवान राम’ का किरदार निभानेवाले अरुण गोविल को लोग उनके नाम से कम, बल्कि ‘भगवान राम’ की भूमिका के लिए अधिक जानने लगे
तकरीबन उसी दौर में ‘बुनियाद’ और ‘हम लोग’ जैसे धारावाहिकों, जिन्हें भारत का शुरुआती शोप ऑपेरा भी कहा जा सकता है, ने भारत में टेलीविजन की दुनिया को एकदम से बदल दिया क्रिकेट खेल के सीधे प्रसारण ने लोगों में एक अलग तरह का रोमांच पैदा कर दिया हालांकि उस दौर में रंगीन टेलीविजन की शुरुआत हो चुकी थी, लेकिन ब्लैक एंड व्हाइट की तुलना में ज्यादा कीमती होने के चलते इसकी मौजूदगी बहुत कम ही घरों में थी लेकिन दो दशकों से कम समय में भारत में टेलीविजन ने संचार के दूसरे साधनों के समान ही अविश्वसनीय प्रगति की है इस प्रगति की कहानी में दूरदर्शन की कहानी अभिन्न तरीके से जुड़ी हुई है

टेलीविजन की कहानी

कई लोगों की कड़ी मेहनत और तकरीबन तीन दशक के रिसर्च के बाद टेलीविजन का आविष्कार हुआ सबसे पहले 1875 में बोस्टन के जॉर्ज कैरे ने सुझाव दिया था कि किसी चित्र के सारे अवयवों या घटकों को एक साथ इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजा जा सकता है इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए 1887 में एडवियर्ड मायब्रिज ने इनसान और जानवरों के हलचल की फोटोग्राफिक रिकॉर्डिग की इसे उन्होंने लोकोमोशन नाम दिया इसके बाद ऑगस्टे और लुईस लुमियर नाम के दो भाईयों ने सिनेमैटोग्राफ नाम की संरचना का विचार रखा, जिसमें एक साथ कैमरा, प्रोजेक्टर और प्रिंटर था उन दोनों ने 1895 में पहली पब्लिक फिल्म बनायी 1907 में रूसी वैज्ञानिक बोरिस रोसिंग ने पहले एक प्रयोगात्मक टेलीविजन प्रणाली के रिसीवर में एक सीआरटी का उपयोग किया और इससे टीवी को नया रूप मिला फिर लंदन में स्कॉटिश आविष्कारक जॉन लोगी बेयर्ड चलती छवियों के संचरण का प्रदर्शन करने में सफल रहे बेयर्ड स्कैनिंग डिस्क ने एक रंग छवियों का 30 लाइनों को संकल्प कर उसे प्रस्तुत किया इस तरह टीवी के आविष्कार में अनेक वैज्ञानिकों ने अहम रोल अदा किया, लेकिन ब्लादीमीर ज्योरकिन को ही ‘टीवी का पिता’ कहा जाता है उन्होंने 1923 में आइकोनोस्कोप की खोज की यह ऐसी ट्यूब थी, जो एक चित्र को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किसी चित्र से जोड़ती है इसके कुछ साल बाद ही उन्होंने काइनस्कोप यानी कैथोडत्नरे ट्यूब खोज निकाली इसकी मदद से उन्होंने एक स्क्वायर इंच का पहला टीवी बनाया यह ब्लैक एंड व्हाइट टीवी थी इसके बाद रंगीन टेलीविजन की तकनीक को खोजने में तकरीबन बीस वर्ष लग गये दुनिया की पहली रंगीन टेलीविजन 1953 में बनी

टेलीविजन प्रसारण में बीबीसी ने पहला टीवी प्रसारण केंद्र बनाते हुए 1932 में अपनी सेवा शुरू की 22 अगस्त, 1932 को लंदन के ब्रॉडकास्ट हाउस से पहली बार टीवी का प्रायोगिक प्रसारण शुरू हुआ और 2 नवंबर, 1932 को बीबीसी ने एलेक्जेंडरा राजमहल से दुनिया का पहला नियमित टीवी चैनल का प्रसारण शुरू कर दिया था इसके पांच साल बाद राजा जॉर्ज छठवें ने राज्याभिषेक समारोह को ब्रिटेन की जनता तक सीधे पहुंचाने के लिए पहली बार ओवी वैन का इस्तेमाल किया उसके बाद 12 जून 1937 को पहली बार विंबल्डन टेनिस का सीधा प्रसारण दिखाया गया था 9 नवंबर 1947 को टेलीविजन के इतिहास में पहली बार टेली रिकार्डिग कर उसी कार्यक्रम का रात में प्रसारण किया गया वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में 1946 में एबीसी टेलीविजन नेटवर्क का उदय हुआ पहली बार रंगीन टेलीविजन का अविर्भाव 17 दिसंबर 1953 को अमेरिका में हुआ और विश्व का पहला रंगीन विज्ञापन कैप्सूल 6 अगस्त 1953 को न्यूयॉर्क में प्रसारित हुआ था 1967 में पूरी दुनिया की करोड़ों जनता ने अमेरिका की नेटवर्क टीवी के जरिये चांद पर गये दोनों आतंरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतरते देखा इसके बाद 1976 में पहली बार केबल नेटवर्क के जरिये टेलीविजन प्रसारण का इतिहास कायम किया गया 1979 में सिर्फ खेलकूद का विशेष टीवी नेटवर्क इएसपीएन स्थापित हुआ

पिछले दो दशकों में टेलीविजन की दुनिया ने आश्चर्यजनक प्रगति की है
इस प्रगति में न सिर्फ नये नये टेलीविजन सेटों का आविष्कार शामिल है, बल्कि टेलीविजन देखने का पूरा तरीका ही बदल गया है अब टेलीविजन मोबाइल फोन और इंटरनेट पर भी उपलब्ध है आज टेलीविजन हाइ डिफिनिशन हो चुका है, थ्री डाइमेंशनल हो गया है वास्तव में अपनी शुरुआत के 80 वर्षो में टेलीविजन की प्रगति आश्चर्यचकित करती है, लेकिन आनेवाले समय में इसे कंप्यूटर से और कड़ी चुनौती मिलना तय है बहरहाल दुनिया में संचार के तरीके को बदलने में इसने जो भूमिका निभायी है, वह अविस्मरणीय है

टेलीविजन संचार का सबसे सशक्त माध्यम है
लोगों को दुनियाभर की जानकारी देने में टेलीविजन की अहम भूमिका को देखते हुए 17 दिसंबर, 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 नवंबर को हर वर्ष विश्व टेलीविजन दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया 21 नवंबर की तारीख इसलिए चुनी गयी, क्योंकि इसी दिन पहले विश्व टेलीविजन फोरम की बैठक हुई थी माना जाता है कि विश्व टेलीविजन दिवस मनाने का कारण यह भी रहा कि टेलीविजन के द्वारा एक दूसरे देशों की शांति, सुरक्षा, आर्थिक सामाजिक विकास व संस्कृति को जाना व समझा जा सके

दूरदर्शन की उपलब्धि

दूरदर्शन ने देश में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और वैज्ञानिक सोच को एक नयी दिशा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी इसने देश में लंबे समय तक पब्लिक ब्रॉडकास्टर की भूमिका निभायी और अपनी तमाम खामियों के बावजूद यह काम आज भी कर रहा है दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को प्रयोगात्मक आधार पर आधे घंटे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया था उस समय दूरदर्शन का प्रसारण सप्ताह में महज तीन दिन आधा आधा घंटे ही होता था उस समय इसे ‘टेलीविजन इंडिया’ के नाम से जाना जाता था वर्ष 1975 में इसका हिंदी नामकरण ‘दूरदर्शन’ नाम से किया गया

दूरदर्शन ने धीरे-धीरे अपने पैर पसारे और दिल्ली में 1965, मुंबई में 1972, कोलकाता और चेन्नई में 1975 में इसका प्रसारण शुरू किया गया
15 अगस्त, 1965 को पहले समाचार बुलेटिन का प्रसारण दूरदर्शन से किया गया था दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर रात साढ़े आठ बजे प्रसारित होने वाला राष्ट्रीय समाचार बुलेटिन तकरीबन उसी समय से आज भी जारी है 1982 में दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों के प्रसारण से श्वेत और श्याम दिखने वाला दूरदर्शन रंगीन हो गया

दूरदर्शन की यात्रा

आकाशवाणी के भाग के रूप में टेलीविजन सेवा की नियमित शुरुआत दिल्ली से वर्ष 1965 से हुई थी दूरदर्शन की स्थापना 15 सितंबर, 1976 को हुई उसके बाद रंगीन प्रसारण की शुरुआत नयी दिल्ली में 1982 के एशियाई खेलों के दौरान हुई इसके बाद तो देश में प्रसारण क्षेत्र में बड़ी क्रांति आ गयी दूरदर्शन का तेजी से विकास हुआ और 1984 में देश में तकरीबन हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया इस मामले में कुछ महत्वपूर्ण मोड़ को इस तरह से रेखांकित किया जा सकता है

- दूसरे चैनल की शुरुआत : दिल्ली (9 अगस्त, 1984), मुंबई (1 मई, 1985), चेन्नई (19 नवंबर, 1987), कोलकाता (1 जुलाई, 1988)

- मेट्रो चैनल शुरू करने के लिए एक दूसरे चैनल की नेटवर्किग : 26 जनवरी, 1993

-अंतरराष्ट्रीय चैनल डीडी इंडिया की शुरुआत : 14 मार्च, 1995

प्रसार भारती का गठन (भारतीय प्रसारण निगम) : 23 नवंबर, 1997

-खेल चैनल डीडी स्पोर्ट्स की शुरुआत : 18 मार्च, 1999

-संवर्धन/ सांस्कृतिक चैनल की शुरुआत : 26 जनवरी, 2002

-24 घंटे के समाचार चैनल डीडी न्यूज की शुरुआत : 3 नवंबर, 2002

-निशुल्क डीटीएच सेवा डीडी डाइरेक्ट प्लस की शुरुआत : 16 दिसंबर, 2004

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38 कमेंट्स “आइये जानते है छोटे परदे ( टेलीविजन ) की बदलती दुनिया के बारें में”पर

  1. बेहद दिलचस्प लेख मनोज जी विस्तार से इतनी अच्छी जानकारी देने का धन्यवाद.

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  2. Very Nice Article

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  3. अच्छी जानकारी

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  4. आ० बहुत बढ़िया , सुंदर विस्तृत लेखन के साथ साथ बढ़िया प्रस्तुति , धन्यवाद मनोज भाई

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  5. रोचक जानकारी मनोज जी थैंक्स.

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  6. बहुत ही दिलचस्प एवं रोचक जानकारी मनोज जी. आभार.

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  7. बेहद दिलचस्प लेख मनोज जी

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  8. अच्छी जानकारी मनोज जी विस्तार से इतनी अच्छी जानकारी देने का धन्यवाद.

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  9. ज्ञानवर्धक व् रोचक जानकारी विस्तार से देने के लिए मनोज जी थैंक्स.

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  10. सुंदर विस्तृत लेखन के साथ साथ इतनी अच्छी जानकारी देने का धन्यवाद मनोज जी.

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  11. बहुत ही दिलचस्प एवं रोचक जानकारी मनोज जी थैंक्स.

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  12. इतनी अच्छी जानकारी देने का धन्यवाद.

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  13. रोचक जानकारी

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  14. दिलचस्प लेख मनोज जी धन्यवाद.

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  15. दिलचस्प लेख मनोज जी धन्यवाद.

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  16. बहुत ही दिलचस्प एवं रोचक आलेख मनोज जी थैंक्स.

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  17. Very Nice Article

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  18. दिलचस्प एवं रोचक आलेख. आभार.

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  19. दिलचस्प एवं रोचक आलेख. आभार.

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  20. रोचक जानकारी मनोज जी थैंक्स

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  21. अच्छी जानकारी मनोज जी विस्तार से इतनी अच्छी जानकारी देने का धन्यवाद.

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  22. अच्छी जानकारी मनोज जी

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  23. Anonymous17:44

    अच्छी जानकारी

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  24. दिलचस्प एवं रोचक आलेख मनोज जी थैंक्स

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  25. रोचक आलेख मनोज जी थैंक्स

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  26. अच्छी जानकारी मनोज जी धन्यवाद.

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  27. दिलचस्प और ज्ञानदायी लेख। टेलीविज़न का पूरा इतिहास ही आपने अपने इस लेख में समेट लिया है। धन्यवाद।।

    नया ब्लॉग - संगणक

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  28. विस्तार से इतनी अच्छी जानकारी देने का धन्यवाद.

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  29. आपको ये जानकर अत्यधिक प्रसन्नता होगी की ब्लॉग जगत में एक नई ब्लॉग डायरेक्टरी डायरेक्टरी शुरू हुई है।
    जिसमें आपके ब्लॉग को तकनीकी ब्लॉग्स की श्रेणी में शामिल किया गया है। सादर ..... आभार।।

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    Replies
    1. हर्षवर्धन जी, आपका आभार देर से जबाब देने के लिए माफ़ी।

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  30. तथ्यात्मक व रोचक विवरण।

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  31. आदरणीय मनोज भाई , बहुत बढ़िया व टॉप का ब्लॉग आपका है जिसे मैंने टॉप ५ फ्रेंड्स सूची में शामिल किया है , कल ३१-१२-२०१३ को आपके ब्लॉग का लिंक मै अपने ब्लॉग पोस्ट पे दे रहा हूँ , कृपया पधारने की कृपा करें , धन्यवाद
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    1. आपका शुकिया आशीष भाई देर से जबाब देने के लिए माफ़ी चाहता हूँ।

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  32. सुंदर विस्तृत लेखन के साथ साथ बढ़िया प्रस्तुति

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    Replies
    1. रोहित वर्मा जी,पोस्ट पर कमेंट के लिए आभार । देर से जबाब देने के लिए माफ़ी चाहता हूँ।

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  33. आपको भी नव वर्ष की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामाये। देर से जबाब देने के लिए माफ़ी चाहता हूँ।

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