मनोज जैसवाल
आई-फ़ोन की मदद से 'कन्फ़ेशन'
कैथोलिकों में 'कन्फ़ेशन' की परंपरा घट रही है
'आई-फ़ोन' का इस्तेमाल करने वाले अब अपने फ़ोन के ज़रिए ईश्वर को हाज़िर-नाज़िर मानकर 'कन्फ़ेशन' यानी पश्चात्ताप कर सकेंगे.
कैथोलिक चर्च ने 'आई-फ़ोन' की उस तकनीक को स्वीकृति दे दी है जिसके ज़रिए पश्चात्ताप करने वाले अपने गुनाहों को स्वीकार कर सकेंगे.
अमरीका और ब्रिटेन में कैथोलिक चर्च के वरिष्ठ आधिकारियों ने इसे पश्चाताप करने के इच्छुक लोगों के लिए एक अनूठी और बेहतरीन सुविधा बताते हुए इस पर मुहर लगा दी है.
'आई-फ़ोन' का यह खास ‘कन्फ़ेशन प्रोग्राम’ एक एप्लीकेशन के रुप में 1.99 डॉलर में बिकाऊ है.
हमारी कोशिश है कि डिजीटल तकनीक के ज़रिए कैथलिक धर्म के अनुयायी धर्म और आस्था से जुड़ सकें.
खोजकर्ता
ग़ौरतलब है कि पोप बेनेडिक्ट के प्रतिनिधि फ़ादर फ़ेडरिको लोमबार्डी ने चेताया है कि सूचना प्रौद्योगिकी के ज़रिए 'कन्फ़ेशन' इंसानी रिश्तों और पादरी के साथ सीधे संपर्क की जगह नहीं ले सकती है.
पूर्ण विकल्प नहीं
यह तकनीक कैथलिक धर्म के अनुयायी को संस्कार की उस प्रक्रिया से गुज़रने में मदद करती है जिसके ज़रिए वो अपने गुनाहों पर नज़र रख सकता है और उनके लिए पश्चाताप कर सकता है.
इस तकनीक के ज़रिए ये अनुयायी अपनी निजी जानकारियों के ज़रिए अंतरआत्मा का विश्लेषण भी कर सकते हैं.
पोप
पोप ने ईसाइयों से इस तरह से धर्म से जुड़ने की अपील की थी
हालांकि यह तकनीक पश्चाताप की पारंपरिक प्रक्रिया का पूर्ण विकल्प नहीं है. इस तकनीक का मक़सद है उपभोक्ताओं के क्रियाकलापों को समझना जिसके बाद वो पादरी की मदद ले सकते हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस तकनीक को इजाद करने वाले पैट्रिक लेनिन के हवाले से बताया, ''हमारी कोशिश है कि डिजीटल तकनीक के ज़रिए कैथलिक धर्म के अनुयायी धर्म और आस्था से जुड़ सकें.''
कुछ समय पहले ही पोप बैनेडिक्ट-16 ने ईसाई धर्म मानने वालों से अपील की थी कि वो डिजीटल तकनीक का इस्तेमाल कर इंटरनेट पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराएं. 'आई-फ़ोन' की यह एप्लीकेशन इस अपील के कुछ दिन बाद लाँच की गई.
उन्होंने कहा था, ''मैं ईसाई युवक-युवतियों से अपील करता हूं कि वो तकनीक का इस्तेमाल कर इंटरनेट पर अपनी और अपने धर्म की पहचान स्थापित करें.''
वैटिकन ने साल 2007 में 'यू-ट्यूब' पर अपना चैनल लाँच किया था.
प्रेषक मनोज जैसवाल - प्रिंटर से निकलेंगे गुर्दे जैसे कई अंग
प्रयोगशाला में अंग विकसित करने की दिशा में एक क्रांतिकारी प्रयोग के रुप में एक प्रिंटर के ज़रिए गुर्दे जैसे महत्वपूर्ण अंग प्रिंट किए गए हैं.... Reed More - Here
manojjaiswalpbt@gmail.com
आई-फ़ोन की मदद से 'कन्फ़ेशन'
कैथोलिकों में 'कन्फ़ेशन' की परंपरा घट रही है
'आई-फ़ोन' का इस्तेमाल करने वाले अब अपने फ़ोन के ज़रिए ईश्वर को हाज़िर-नाज़िर मानकर 'कन्फ़ेशन' यानी पश्चात्ताप कर सकेंगे.
कैथोलिक चर्च ने 'आई-फ़ोन' की उस तकनीक को स्वीकृति दे दी है जिसके ज़रिए पश्चात्ताप करने वाले अपने गुनाहों को स्वीकार कर सकेंगे.
अमरीका और ब्रिटेन में कैथोलिक चर्च के वरिष्ठ आधिकारियों ने इसे पश्चाताप करने के इच्छुक लोगों के लिए एक अनूठी और बेहतरीन सुविधा बताते हुए इस पर मुहर लगा दी है.
'आई-फ़ोन' का यह खास ‘कन्फ़ेशन प्रोग्राम’ एक एप्लीकेशन के रुप में 1.99 डॉलर में बिकाऊ है.
हमारी कोशिश है कि डिजीटल तकनीक के ज़रिए कैथलिक धर्म के अनुयायी धर्म और आस्था से जुड़ सकें.
खोजकर्ता
ग़ौरतलब है कि पोप बेनेडिक्ट के प्रतिनिधि फ़ादर फ़ेडरिको लोमबार्डी ने चेताया है कि सूचना प्रौद्योगिकी के ज़रिए 'कन्फ़ेशन' इंसानी रिश्तों और पादरी के साथ सीधे संपर्क की जगह नहीं ले सकती है.
पूर्ण विकल्प नहीं
यह तकनीक कैथलिक धर्म के अनुयायी को संस्कार की उस प्रक्रिया से गुज़रने में मदद करती है जिसके ज़रिए वो अपने गुनाहों पर नज़र रख सकता है और उनके लिए पश्चाताप कर सकता है.
इस तकनीक के ज़रिए ये अनुयायी अपनी निजी जानकारियों के ज़रिए अंतरआत्मा का विश्लेषण भी कर सकते हैं.
पोप
पोप ने ईसाइयों से इस तरह से धर्म से जुड़ने की अपील की थी
हालांकि यह तकनीक पश्चाताप की पारंपरिक प्रक्रिया का पूर्ण विकल्प नहीं है. इस तकनीक का मक़सद है उपभोक्ताओं के क्रियाकलापों को समझना जिसके बाद वो पादरी की मदद ले सकते हैं.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने इस तकनीक को इजाद करने वाले पैट्रिक लेनिन के हवाले से बताया, ''हमारी कोशिश है कि डिजीटल तकनीक के ज़रिए कैथलिक धर्म के अनुयायी धर्म और आस्था से जुड़ सकें.''
कुछ समय पहले ही पोप बैनेडिक्ट-16 ने ईसाई धर्म मानने वालों से अपील की थी कि वो डिजीटल तकनीक का इस्तेमाल कर इंटरनेट पर अपनी मौजूदगी दर्ज कराएं. 'आई-फ़ोन' की यह एप्लीकेशन इस अपील के कुछ दिन बाद लाँच की गई.
उन्होंने कहा था, ''मैं ईसाई युवक-युवतियों से अपील करता हूं कि वो तकनीक का इस्तेमाल कर इंटरनेट पर अपनी और अपने धर्म की पहचान स्थापित करें.''
वैटिकन ने साल 2007 में 'यू-ट्यूब' पर अपना चैनल लाँच किया था.
प्रेषक मनोज जैसवाल - प्रिंटर से निकलेंगे गुर्दे जैसे कई अंग
डॉक्टर अटाला का मानना है इन प्रयोगों की सफलता से अंगदान की समस्या हल हो पाएगी.
manojjaiswalpbt@gmail.com
so nice
ReplyDeletemanoj ji your post right
ReplyDeletemanj ji good lake
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