एक बहादुर फ्रांसिसी सिपाही लेफायेटे अमेरिकी क्रांति के बाद जब अपने गांव वापस पहुंचा तो वहां की हालत देख परेशान हो गया। उन दिनों उसके और उसके आसपास के गांवों में गेहूं की फसल खराब हो गई थी। गांव के सभी लोग फसल खराब होने के कारण दुखी थे। बच्चे व बूढ़े भूख से तड़प रहे थे। किसी को समझ में नहीं आ रहा था कि इस आकस्मिक आपदा से फिलहाल कैसे निपटा जाए?
लेफायटे जब अपने घर में दाखिल हुआ तो यह देखकर हैरान रह गया कि उसके गोदाम गेहूं से भरे हुए हैं। उसे पता चला कि उसके परिवार वालों ने पिछले कुछ सालों में दिन-रात मेहनत कर गेहूं इकट्ठा करके गोदाम में रख दिया था। गांव के प्रधान को जब इसका पता चला तो वह लेफायटे के पास आकर बोला, 'आपके यहां तो गेहूं के गोदाम भरे हुए हैं । मेरे ख्याल से यह एक अच्छा अवसर है। कम समय में ज्यादा कमाई करने का इससे बेहतर जरिया कोई हो ही नहीं सकता। आपको अपने गोदाम में जमा गेहूं को भूखे मर रहे लोगों को ऊंचे दाम पर बेचकर काफी मुनाफा कमा लेना चाहिए।'
लेफायेटे प्रधान की बात सुनकर दंग रह गया। वह बोला, 'आपको ऐसा कहना शोभा नहीं देता। मेरे गांव के लोग भूखे मर रहे हैं और आप मुझे कह रहे हैं कि मैं गेहूं ऊंचे दामों पर बेचकर मुनाफा कमाऊं। इससे बड़ी शर्मनाक बात कोई हो ही नहीं सकती। यह वक्त तो गेहूं सबको बांटने का है ताकि इस विपदा से सहजता से जूझा जा सके। इस विपदा का लाभ उठाकर अनेक लोगों को मौत के मुंह में धकेलकर कमाई करने का पाप मैं नहीं कर सकता।'
यह सुनकर प्रधान शर्मिंदा हो गया। उसने भी अपने गोदामों में जमा गेहूं तत्काल बांटने का फैसला कर लिया।
लेफायटे जब अपने घर में दाखिल हुआ तो यह देखकर हैरान रह गया कि उसके गोदाम गेहूं से भरे हुए हैं। उसे पता चला कि उसके परिवार वालों ने पिछले कुछ सालों में दिन-रात मेहनत कर गेहूं इकट्ठा करके गोदाम में रख दिया था। गांव के प्रधान को जब इसका पता चला तो वह लेफायटे के पास आकर बोला, 'आपके यहां तो गेहूं के गोदाम भरे हुए हैं । मेरे ख्याल से यह एक अच्छा अवसर है। कम समय में ज्यादा कमाई करने का इससे बेहतर जरिया कोई हो ही नहीं सकता। आपको अपने गोदाम में जमा गेहूं को भूखे मर रहे लोगों को ऊंचे दाम पर बेचकर काफी मुनाफा कमा लेना चाहिए।'
लेफायेटे प्रधान की बात सुनकर दंग रह गया। वह बोला, 'आपको ऐसा कहना शोभा नहीं देता। मेरे गांव के लोग भूखे मर रहे हैं और आप मुझे कह रहे हैं कि मैं गेहूं ऊंचे दामों पर बेचकर मुनाफा कमाऊं। इससे बड़ी शर्मनाक बात कोई हो ही नहीं सकती। यह वक्त तो गेहूं सबको बांटने का है ताकि इस विपदा से सहजता से जूझा जा सके। इस विपदा का लाभ उठाकर अनेक लोगों को मौत के मुंह में धकेलकर कमाई करने का पाप मैं नहीं कर सकता।'
यह सुनकर प्रधान शर्मिंदा हो गया। उसने भी अपने गोदामों में जमा गेहूं तत्काल बांटने का फैसला कर लिया।
very nice post manoj ji
ReplyDeleteRoch stori manoj ji
ReplyDeleteआपकी अमूल्य stori के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद
ReplyDeleteशानदार पोस्ट मनोज जी
ReplyDeleteसुन्दर व् ज्ञानवर्धक जानकारी मनोज जी साधुबाद
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