मनोज जैसवाल : आने वाले दिनों में रसोई गैस, उर्वरक और केरोसिन पर सब्सिडी हासिल करना मुश्किल हो जाएगा। नंदन नीलेकणी की अध्यक्षता वाली टास्क फोर्स ने सब्सिडी देने के लिए जो तरीके बताए हैं उनके मुताबिक लोगों को ये उत्पाद बाजार मूल्य पर ही खरीदने होंगे, वास्तविक लाभार्थियों के खाते में सब्सिडी की रकम सीधे ट्रांसफर कर दी जाएगी।
इससे कंपनियों को तो फायदा होगा लेकिन उपभोक्ताओं के सामने कई तरह की दिक्कतें आ सकती हैं। इस सिफारिश पर अमल के लिए सबसे जरूरी यह है कि लाभार्थी के पास बैंक खाता हो। यानी अगर कोई सब्सिडी पाने का हकदार है लेकिन उसके पास बैंक खाता नहीं है तो उसे सब्सिडी लेने में परेशानी हो सकती है।
यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के चेयरमैन नीलेकणी ने मंगलवार को वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी को 70 पेज की अंतरिम रिपोर्ट सौंपी जिसमें सब्सिडी का दुरुपयोग रोकने के तरीके बताए गए हैं। जरूरतमंदों को सीधे नगद सब्सिडी के हस्तांतरण के उपाय बताने के लिए टास्क फोर्स का गठन वित्त मंत्रालय ने इसी साल फरवरी में किया था।
इस मौके पर वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि डायरेक्ट सब्सिडी (बैंक खाते में नकदी ट्रांसफर) के लिए अक्टूबर से छह महीने तक हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, तमिलनाडु, असम, महाराष्ट्र और उड़ीसा में पायलट प्रोजेक्ट चलाए जाएंगे। पायलट प्रोजेक्ट के अनुभवों को टास्क फोर्स अंतिम रिपोर्ट में शामिल करेगी। अंतिम रिपोर्ट दिसंबर 2011 तक मिलने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कोर सब्सिडी मैनेजमेंट सिस्टम (सीएसएमएस) नाम से एक व्यवस्था बनाने की बात कही गई है।
इसके जरिए सब्सिडी से संबंधित सभी कार्यों पर नजर रखी जाएगी। सीएसएमएस सब्सिडी का फायदा लेने वाले सभी लोगों से संबंधित सूचनाओं का रिकॉर्ड रखेगा। इसके अलावा यह वस्तुओं के परिवहन, स्टॉक और मांग के पूर्वानुमान का भी रिकॉर्ड रखेगा। इसके जरिए सब्सिडी का फायदा लेने वाले किसी भी अनियमितता की सीधे सरकार से शिकायत कर सकेंगे। सीएसएमएस के जरिए ही सब्सिडी की रकम लाभार्थी के खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
उपभोक्ता किसी भी बैंक में अपना खाता रख सकेंगे। देशभर में आधार नंबर वितरित होने के साथ ही सब्सिडी के सीधे हस्तांतरण का काम शुरू हो जाएगा। गौरतलब है कि सरकार अभी ईंधन और उर्वरकों पर करीब 74 हजार करोड़ रुपये की सब्सिडी हर साल दे रही है, लेकिन वित्त मंत्री के मुताबिक इसका बड़ा हिस्सा वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंच ही नहीं पाता है।
टास्क फोर्स ने रसोई गैस और उर्वरकों के मामले में तीन चरणों में सब्सिडी ट्रांसफर की सिफारिश की है। केरोसिन के लिए दो चरण बताए गए हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि डायरेक्ट सब्सिडी से इसका दुरुपयोग रोकने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि केरोसिन पर सब्सिडी सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में सुधार से जुड़ा है। केरोसिन पर सब्सिडी की सफलता राज्यों पर निर्भर करती है क्योंकि इसका वितरण राज्य सरकारों के जरिए ही किया जाएगा।
इस सिफारिश से ऑयल मार्केटिंग कंपनियां (ओएमसी) काफी खुश नजर आ रही हैं। इंडेन ब्रांड से रसोई गैस बाजार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी रखने वाली सार्वजनिक कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन के डायरेक्टर फाइनेंस पी.के. गोयल ने कहा कि यह कदम कंपनी की सेहत के लिए अच्छा साबित होगा और अंडर रिकवरी रुकेगी। अभी तक सब्सिडी की रकम मिलने में देरी होती थी, लेकिन बाजार भाव पर बेचने से हमें कैश तत्काल मिल जाएगा।
उपभोक्ताओं पर इसके असर के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वालों (बीपीएल) पर तो कोई असर नहीं होगा, लेकिन गरीबी रेखा से ऊपर के लोग (एपीएल) इससे प्रभावित हो सकते हैं। रसोई गैस के बाजार में दूसरी बड़ी कंपनी एचपीसीएल के डायरेक्टर फाइनेंस भास्वार मुखर्जी ने भी फायदे की बात मानते हुए कहा कि इससे तरलता बढ़ जाएगी।
बीपीसीएल के कार्यकारी निदेशक के.के. गुप्ता ने कहा, इसका सीधा अर्थ यह है कि हमें पहले जो सब्सिडी सरकार से लेनी पड़ती थी उससे छुटकारा मिल जाएगा। हम ग्राहक से पूरे पैसे लेंगे, फिर सब्सिडी का लेन-देन ग्राहक और सरकार के बीच होगा। इससे हमारी तरलता बढ़ जाएगी और हमारी बैलेंस शीट पर भी बहुत फर्क पड़ेगा। हालांकि ओएनजीसी के सीएमडी ए.के. हजारिक ने कहा कि डायरेक्ट सब्सिडी से उनकी कंपनी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
को-ऑपरेटिव क्षेत्र की उर्वरक निर्माता कृषक भारती को-ऑपरेटिव लिमिटेड (कृभको) के वाइस-चेयरमैन चंद्रपाल यादव ने कहा कि किसानों के खाते में नकद सब्सिडी की योजना से उर्वरक कंपनियों को तो लाभ होगा लेकिन किसानों को इसका खमियाजा भुगतना पड़ेगा। अधिकांश किसानों के पास इतना पैसा नहीं होता कि वह पहले खाद खरीदें और बाद में सब्सिडी का लाभ उठाएं। लिहाजा, किसान उर्वरकों का इस्तेमाल कम कर सकते हैं जिससे उत्पादन पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
श्रीराम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड के ग्रुप हेड के.के. कौल ने बताया कि देश में तकरीबन 1.40 लाख डीलर हैं जिनका ट्रैक रखना बेहद मुश्किल होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को सीधे सब्सिडी देने में कई दिक्कतें आ सकती हैं। मसलन, काफी संख्या में किसान किराए पर जमीन बोते हैं। ऐसे में सब्सिडी किसे मिलेगी, यह तय करना मुश्किल होगा।
तीन चरणों में पूरी होगी प्रक्रिया
फेज - 1
रसोई गैस - सब्सिडी वाले सिलिंडर की अधिकतम संख्या निर्धारित की जाएगी।
उर्वरक - खुदरा विक्रेता तक पूरी सप्लाई चेन की सूचना जुटानी जाएगी। इससे सप्लाई में पारदर्शिता आएगी।
केरोसिनराज्य सरकारों के माध्यम से नकदी का हस्तांतरण किया जाएगा।
फेज - 2
रसोई गैस - उपभोक्ता बाजार भाव पर रसोई गैस खरीदेंगे। सब्सिडी की रकम सीधे उनके बैंक खाते में जाएगी।
उर्वरक - खुदरा विक्रेता के बैंक खाते में सीधे सब्सिडी का हस्तांतरण होगा।
केरोसिन - वास्तविक लाभार्थियों के खाते में होगा नकदी का हस्तांतरण।
फेज - 3
रसोई गैस - सब्सिडी के लिए अलग सेगमेंट वाले उपभोक्ताओं की पहचान होगी और उन्हें लक्षित किया जाएगा।
उर्वरक - किसान बाजार मूल्य पर उर्वरक खरीदेंगे। नकद सब्सिडी सीधे उनके बैंक खाते में जाएगी।
केरोसिन --
कंपनी पर असर
रसोई गैस - इंडियन ऑयल, एचपीसीएल जैसी कंपनियों को फायदा। अभी उन्हें सरकार से सब्सिडी की रकम काफी देर से मिलती है। अब कैश तत्काल मिल जाएगा।
उर्वरक - उर्वरक निर्माताओं को वर्किंग कैपिटल के रूप में फायदा होगा। सब्सिडी की रकम के लिए उन्हें इंतजार भी नहीं करना होगा।केरोसिन -कंपनियों को फायदा। सब्सिडी की रकम के लिए इंतजार नहीं करना होगा।
उपभोक्ता पर असर
रसोई गैस - बीपीएल पर तो कुल मिलाकर असर नहीं। सब्सिडी के दायरे से बाहर होने वाले ज्यादा आमदनी वाले होंगे प्रभावित। उन्हें बाजार भाव पर खरीदना पड़ेगा सिलिंडर।
अधिकांश किसानों के पास इतना पैसा नहीं होता कि वे पहले खाद खरीदें और बाद में सब्सिडी का लाभ उठाएं। हो सकता है वे उर्वरकों का इस्तेमाल कम कर दें। केरोसिन - फाइनेंशियल इनक्लूजन का पूरा होना जरूरी। नकदी का ट्रांसफर बैंक खाते में होगा, इसलिए जिनका खाता नहीं उन्हें परेशानी होगी।
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रोचक जानकारी मनोज जी
ReplyDeleteरोचक जानकारी मनोज ji
ReplyDeleteसुन्दर पोस्ट मनोज जी
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