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मनोज जैसवाल
धोनी के ये 5 अब करेंगे लंका की छुट्टी इंदौर।। पाकिस्तान के खिलाफ मोहाली में क्रिकेट वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में शानदार जीत के बाद एक अरब से ज्यादा भारतवासियों के अरमानों के फिर सारथी बने महेंद्र सिंह धोनी में ऐसा क्या है, जो उन्हें दूसरे समकालीन कप्तानों से अलग करता है?
इंदौर के भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम-आई) में हुआ ताजा अध्ययन बताता है कि टीम इंडिया के कैप्टन कूल धोनी लीडरशिप के पांच गुरों से लैस हैं, जो उन्हें खेल में सिरमौर बनाते हैं।
अध्ययन के मुताबिक इन्हीं गुरों के बूते कप्तान धोनी पाकिस्तान जैसे धुर प्रतिद्वंद्वी को बुधवार रात मोहाली में धूल चटाने में कामयाब रहे। अब श्रीलंका के खिलाफ मुंबई के वानखेडे़ स्टेडियम में दो अप्रैल को खेले जाने वाले क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल में उनकी कप्तानी को एक बार फिर तौला जाएगा।
भारी दबाव और कशमकश से भरी भारत-पाक भिड़ंत की पृष्ठभूमि में धोनी के नायकत्व का अध्ययन किया आईआईएम-आई में रणनीतिक प्रबंधन पढ़ाने वाले प्रफेसर प्रशांत सालवान ने।
पहला गुर
सालवान ने अपने अध्ययन में कहा, 'धोनी का पहला गुर है कि वह एक टीम प्लेयर हैं। आपने कई बार देखा होगा कि कई बार उन्होंने टीम के हित में अपनी स्वाभाविक शैली की आक्रामक बल्लेबाजी नहीं की। धोनी सबको साथ लेकर चले।
दूसरा गुर
आईआईएम-आई के अध्ययन के मुताबिक धोनी का गुर नंबर दो है कि वह अपने खिलाड़ियों की खूबियों और खामियों से वाकिफ हैं और तमाम जोखिमों के बावजूद उन पर भरोसा करते हैं।
सालवान ने कहा, 'कॉर्पोरेट फर्म के अध्यक्ष की तरह धोनी अच्छी तरह जानते हैं कि टीम की ताकत को कब और किस तरह भुनाना है। पाकिस्तान के खिलाफ अहम सेमीफाइनल में आर. आश्विन की जगह आशीष नेहरा को आजमाने का जोखिम भरा फैसला किया, लेकिन आखिरकार कामयाब फैसला धोनी के इसी गुण की गवाही देता है।
तीसरा गुर
भारतीय क्रिकेट टीम के 29 वर्षीय कप्तान का तीसरा गुर है कि वह एक संरक्षक की तरह खिलाड़ियों को उनकी प्रतिभा के विकास का पूरा मौका देते हैं। इससे खिलाड़ियों में आत्मविश्वास और पररस्पर विश्वास, दोनों पनपते हैं।
सालवान ने कहा, 'मुझे लगा कि पाकिस्तान के खिलाफ वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में धोनी युवराज सिंह, हरभजन सिंह और सुरेश रैना में मन में उमड़ रहे भावनात्मक ज्वार को जांचने में कामयाब रहे और उन्हें मैदान के बाहरी वातावरण से प्रभावित हुए बिना अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाने की ओर अग्रसर किया।
चौथा गुर
धोनी का चौथा गुर गिनाते हुए आईआईएम-आई का अध्ययन बताता है कि वह मौके और माहौल के मुताबिक एक ऐसे खेल की रणनीति बदलने में माहिर हैं, जो अनिश्चितता से भरा है।
अध्ययन में कहा गया है, 'मोहाली में खेले गए वर्ल्ड कप सेमीफाइनल मैच में धोनी ने गेंदबाजों के मुताबिक अपने फील्डरों को बदला। वह अपनी रणनीति में कामयाब भी रहे। मिसाल के तौर पर भारतीय कप्तान ने निर्णायक पलों के दौरान 42वें ओवर में हरभजन सिंह को गेंद थमायी, क्योंकि वह अपने पाकिस्तानी समकक्ष शाहिद अफरीदी की इस कमजोरी से वाकिफ थे कि वह ललचाती गेंदों पर ऊंचे शॉट खेलने से खुद को रोक नहीं पाते।
अफरीदी ने एक बार फिर गलती की और पाकिस्तान का यह आक्रामक बल्लेबाज महज 19 रन के स्कोर पर हरभजन की गेंद पर वीरेंद्र सहवाग के हाथों लपक लिया गया।
पांचवां गुर
सालवान के अध्ययन के मुताबिक कप्तान धोनी का पांचवां गुर है कि जीत या हार उनके व्यक्तित्व पर बड़ा असर नहीं डाल पाती और दोनों ही सूरतों में उनकी मानसिक मजबूती बनी रहती है। उन्होंने कहा, 'धोनी की यह खूबी उनकी मानसिक शांति बनाए रखती है, जिससे उन्हें भविष्य की रणनीति बनाने में मदद मिलती है। इसके अलावा, वह पेशेवर व्यस्तताओं के बावजूद अपने परिवार के साथ मजबूती से जुड़े हैं।
धोनी अहम फैसले करते वक्त अपने साथी खिलाड़ियों, अनुभवी लोगों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाओं का पूरा ध्यान रखता है। यह भी एक सफल नायक की निशानी है।
इंदौर के भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम-आई) में हुआ ताजा अध्ययन बताता है कि टीम इंडिया के कैप्टन कूल धोनी लीडरशिप के पांच गुरों से लैस हैं, जो उन्हें खेल में सिरमौर बनाते हैं।
अध्ययन के मुताबिक इन्हीं गुरों के बूते कप्तान धोनी पाकिस्तान जैसे धुर प्रतिद्वंद्वी को बुधवार रात मोहाली में धूल चटाने में कामयाब रहे। अब श्रीलंका के खिलाफ मुंबई के वानखेडे़ स्टेडियम में दो अप्रैल को खेले जाने वाले क्रिकेट वर्ल्ड कप फाइनल में उनकी कप्तानी को एक बार फिर तौला जाएगा।
भारी दबाव और कशमकश से भरी भारत-पाक भिड़ंत की पृष्ठभूमि में धोनी के नायकत्व का अध्ययन किया आईआईएम-आई में रणनीतिक प्रबंधन पढ़ाने वाले प्रफेसर प्रशांत सालवान ने।
पहला गुर
सालवान ने अपने अध्ययन में कहा, 'धोनी का पहला गुर है कि वह एक टीम प्लेयर हैं। आपने कई बार देखा होगा कि कई बार उन्होंने टीम के हित में अपनी स्वाभाविक शैली की आक्रामक बल्लेबाजी नहीं की। धोनी सबको साथ लेकर चले।
दूसरा गुर
आईआईएम-आई के अध्ययन के मुताबिक धोनी का गुर नंबर दो है कि वह अपने खिलाड़ियों की खूबियों और खामियों से वाकिफ हैं और तमाम जोखिमों के बावजूद उन पर भरोसा करते हैं।
सालवान ने कहा, 'कॉर्पोरेट फर्म के अध्यक्ष की तरह धोनी अच्छी तरह जानते हैं कि टीम की ताकत को कब और किस तरह भुनाना है। पाकिस्तान के खिलाफ अहम सेमीफाइनल में आर. आश्विन की जगह आशीष नेहरा को आजमाने का जोखिम भरा फैसला किया, लेकिन आखिरकार कामयाब फैसला धोनी के इसी गुण की गवाही देता है।
तीसरा गुर
भारतीय क्रिकेट टीम के 29 वर्षीय कप्तान का तीसरा गुर है कि वह एक संरक्षक की तरह खिलाड़ियों को उनकी प्रतिभा के विकास का पूरा मौका देते हैं। इससे खिलाड़ियों में आत्मविश्वास और पररस्पर विश्वास, दोनों पनपते हैं।
सालवान ने कहा, 'मुझे लगा कि पाकिस्तान के खिलाफ वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में धोनी युवराज सिंह, हरभजन सिंह और सुरेश रैना में मन में उमड़ रहे भावनात्मक ज्वार को जांचने में कामयाब रहे और उन्हें मैदान के बाहरी वातावरण से प्रभावित हुए बिना अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाने की ओर अग्रसर किया।
चौथा गुर
धोनी का चौथा गुर गिनाते हुए आईआईएम-आई का अध्ययन बताता है कि वह मौके और माहौल के मुताबिक एक ऐसे खेल की रणनीति बदलने में माहिर हैं, जो अनिश्चितता से भरा है।
अध्ययन में कहा गया है, 'मोहाली में खेले गए वर्ल्ड कप सेमीफाइनल मैच में धोनी ने गेंदबाजों के मुताबिक अपने फील्डरों को बदला। वह अपनी रणनीति में कामयाब भी रहे। मिसाल के तौर पर भारतीय कप्तान ने निर्णायक पलों के दौरान 42वें ओवर में हरभजन सिंह को गेंद थमायी, क्योंकि वह अपने पाकिस्तानी समकक्ष शाहिद अफरीदी की इस कमजोरी से वाकिफ थे कि वह ललचाती गेंदों पर ऊंचे शॉट खेलने से खुद को रोक नहीं पाते।
अफरीदी ने एक बार फिर गलती की और पाकिस्तान का यह आक्रामक बल्लेबाज महज 19 रन के स्कोर पर हरभजन की गेंद पर वीरेंद्र सहवाग के हाथों लपक लिया गया।
पांचवां गुर
सालवान के अध्ययन के मुताबिक कप्तान धोनी का पांचवां गुर है कि जीत या हार उनके व्यक्तित्व पर बड़ा असर नहीं डाल पाती और दोनों ही सूरतों में उनकी मानसिक मजबूती बनी रहती है। उन्होंने कहा, 'धोनी की यह खूबी उनकी मानसिक शांति बनाए रखती है, जिससे उन्हें भविष्य की रणनीति बनाने में मदद मिलती है। इसके अलावा, वह पेशेवर व्यस्तताओं के बावजूद अपने परिवार के साथ मजबूती से जुड़े हैं।
धोनी अहम फैसले करते वक्त अपने साथी खिलाड़ियों, अनुभवी लोगों और विशेषज्ञों की प्रतिक्रियाओं का पूरा ध्यान रखता है। यह भी एक सफल नायक की निशानी है।
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