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नाराज मत होइए। कोई भी फैसला करने से पहले इस ब्लॉग को ध्यान से पढ़िए। मैं सिर्फ भारत की ऐतिहासिक जीत के जश्न के बीच इस कटु सचाई से आपको रू-ब-रू करा रहा हूं।
क्रिकेट भारत का धर्म है। इस धर्म के भगवान हैं सचिन। जब उम्मीद के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं, तो भगवान संकटमोचक बनकर सामने आते हैं। पर, यह भगवान तो गजब का है। जब देश और टीम को उसकी जरूरत होती है, तभी 'धोखा' दे देता है। यानी लोगों की उम्मीदों को तोड़ देता है।
21 साल का क्रिकेट करियर है इस भगवान का, लेकिन हम सिर्फ इनके वर्ल्ड कप के मैचों की बात करते हैं। वे मैच जो निर्णायक थे। चलिए एक-एक कर उन मैचों पर नजर डालते हैं, जिनको जीतकर भारत चैंपियन बनने की तरफ अग्रसर हो सकता था।
सचिन ने भारत के लिए 6 वर्ल्ड कप खेले हैं। उन सभी वर्ल्ड कप में भारत के आखिरी मैच पर हम नजर डालते हैं, जो टीम के लिए निर्णायक थे।
वर्ल्ड कप 1992
यह सचिन का पहला वर्ल्ड कप था। इसे पाकिस्तान ने जीता था, जबकि भारत सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच पाया था। भारत का आखिरी मैच 15 मार्च 1992 को साउथ अफ्रीका के साथ था। बारिश से प्रभावित यह मैच 30-30 ओवर का हुआ। क्रिकेट खेलते हुए सचिन को सिर्फ ढाई साल हुए थे। फिर भी उनसे लोगों को उम्मीद थी, पर सचिन ने निराश किया। इस निर्णायक मैच में वह 14 गेंद खेलकर सिर्फ 14 रन बना पाएं।
वर्ल्ड कप 1996
यह वर्ल्ड कप भारतीय उपमाद्वीप में आयोजित हुआ। टीम इंडिया मजबूत थी। वर्ल्ड कप जीतने की पूरी उम्मीद भी थी। सचिन भी फॉर्म थे। उनसे उम्मीदें भी काफी थीं, पर वह कुछ खास नहीं कर पाए। उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ ईडन गार्डन्स में 88 गेंदों पर 65 रन बनाए, पर भारत को जीत नहीं दिला पाए। सेमीफाइनल का यह मुकाबला श्रीलंका जीत गया। भारत का सपना टूट गया।
वर्ल्ड कप 1999
इस वर्ल्ड कप में भारत सुपर 6 मुकाबले तक ही पहुंच पाया। सुपर 6 में भारत का मुकाबला न्यू जीलैंड से था। इस मैच में भी सचिन से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन फिर उन्होंने निराश किया। इस मैच में सचिन ओपनिंग करने आए और 22 गेंदों में सिर्फ 16 रन बनाकर ही पविलियन की राह पकड़ लिए। भारत यह मैच न्यू जीलैंड से 5 विकेट से हार गया और वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीदें एक बार फिर खत्म हो गईं।
वर्ल्ड कप 2003
इस बार टीम इंडिया काफी संतुलित और मजबूत थी। वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीदें ज्यादा थीं। भारत फाइनल तक पहुंचा भी। फाइनल में मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से था। हाई स्कोरिंग मैच में सचिन ने टीम को ही नहीं पूरे देश को निराश किया। सचिन पहले ही ओवर में 5 गेंदों पर सिर्फ 8 रन बनाकर पविलियन की राह पकड़ लिए। इस मैच में भारत को 125 रनों की करारी हार झेलनी पड़ी।
वर्ल्ड कप 2007
यह वर्ल्ड कप भारत के लिए बहुत ही बुरा रहा था। भारत सुपर 8 मुकाबले में भी नहीं पहुंच पाया था। लीग राउंड में भारत का आखरी मैच श्रीलंका के साथ था, जिसे जीतकर वह अगले राउंड में पहुंच सकता था। सचिन से पूरे देश को एक बार फिर उम्मीदें थीं। पर, सचिन इस मैच में खाता भी नहीं खोल पाएं।
वर्ल्ड कप 2011
इस बार भारत वर्ल्ड चैंपियन बना, लेकिन गौतम गंभीर और महेंद्र सिंह धोनी की शानदार बल्लेबाजी के बूते। पूरे टूर्नामेंट के दौरान सचिन जबर्दस्त फॉर्म में दिखे। फाइनल में भी उनसे ऐसी ही उम्मीदें थीं और सचिन ने क्या किया आपने देखा ही होगा। कई खिलाड़ी सिर्फ उनके लिए वर्ल्ड कप जीतना चाहते थे, पर उनके खेल देख कर लगा कि वह कप जीतना ही नहीं चाहते थे। इस फाइनल में वह सहवाग के साथ ओपनिंग करने आए। सहवाग पहले ही ओवर में बिना खाता खोले आउट हो गए। अब सारी उम्मीदों का बोझ उन पर था। हो भी क्यों नहीं, महान खिलाड़ी जो ठहरे। लेकिन, इस भगवान ने पूरे देश को निराश किया। एक गैर-जिम्मेदराना शॉट खेलते हुए सिर्फ 18 रन बनाकर पविलियन लौट गए। खैर, इस बार सचिन नहीं पूरी टीम खेल रही थी और भारत वर्ल्ड कप जीत गया।
मैं सचिन के महान होने पर सवाल नहीं खड़ा कर रहा। सिर्फ यह बताना चहता हूं कि सचिन बड़े मैचों के कितने छोटे खिलाड़ी हैं। अब आप बताइए सचिन बड़े मैचों के छोटे खिलाड़ी हैं कि नहीं?
manojjaiswalpbt@gmail.com
मनोज जैसवाल-शनिवार रात भारत ने 28 साल बाद एक बार फिर इतिहास रचा। क्रिकेट का वर्ल्ड कप हमारा हो गया। इस जीत के बाद पूरा देश जश्न में डूब गया। लोगों की आंखों में खुशी के आंसू दिखे। मैं भी खुश हुआ, पर उदास भी। आप पूछेंगे, आखिर क्यों? मेरी उदासी और इस निराशा के कारण हैं सचिन! क्यों, आश्चर्य हो रहा है आपको? वह एक ऐसे खिलाड़ी हैं, जिस पर सारे देश को नाज है। उम्मीदें भी ज्यादा होती हैं, लेकिन कभी भी बड़े मैचों में यह महान खिलाड़ी लोगों की उम्मीदों पर खरा नहीं उतरा है। हम यह भी कह सकते हैं क्रिकेट का भगवान बड़े मैचों का छोटा खिलाड़ी है।
नाराज मत होइए। कोई भी फैसला करने से पहले इस ब्लॉग को ध्यान से पढ़िए। मैं सिर्फ भारत की ऐतिहासिक जीत के जश्न के बीच इस कटु सचाई से आपको रू-ब-रू करा रहा हूं।
क्रिकेट भारत का धर्म है। इस धर्म के भगवान हैं सचिन। जब उम्मीद के सारे रास्ते बंद हो जाते हैं, तो भगवान संकटमोचक बनकर सामने आते हैं। पर, यह भगवान तो गजब का है। जब देश और टीम को उसकी जरूरत होती है, तभी 'धोखा' दे देता है। यानी लोगों की उम्मीदों को तोड़ देता है।
21 साल का क्रिकेट करियर है इस भगवान का, लेकिन हम सिर्फ इनके वर्ल्ड कप के मैचों की बात करते हैं। वे मैच जो निर्णायक थे। चलिए एक-एक कर उन मैचों पर नजर डालते हैं, जिनको जीतकर भारत चैंपियन बनने की तरफ अग्रसर हो सकता था।
सचिन ने भारत के लिए 6 वर्ल्ड कप खेले हैं। उन सभी वर्ल्ड कप में भारत के आखिरी मैच पर हम नजर डालते हैं, जो टीम के लिए निर्णायक थे।
वर्ल्ड कप 1992
यह सचिन का पहला वर्ल्ड कप था। इसे पाकिस्तान ने जीता था, जबकि भारत सेमीफाइनल में भी नहीं पहुंच पाया था। भारत का आखिरी मैच 15 मार्च 1992 को साउथ अफ्रीका के साथ था। बारिश से प्रभावित यह मैच 30-30 ओवर का हुआ। क्रिकेट खेलते हुए सचिन को सिर्फ ढाई साल हुए थे। फिर भी उनसे लोगों को उम्मीद थी, पर सचिन ने निराश किया। इस निर्णायक मैच में वह 14 गेंद खेलकर सिर्फ 14 रन बना पाएं।
वर्ल्ड कप 1996
यह वर्ल्ड कप भारतीय उपमाद्वीप में आयोजित हुआ। टीम इंडिया मजबूत थी। वर्ल्ड कप जीतने की पूरी उम्मीद भी थी। सचिन भी फॉर्म थे। उनसे उम्मीदें भी काफी थीं, पर वह कुछ खास नहीं कर पाए। उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ ईडन गार्डन्स में 88 गेंदों पर 65 रन बनाए, पर भारत को जीत नहीं दिला पाए। सेमीफाइनल का यह मुकाबला श्रीलंका जीत गया। भारत का सपना टूट गया।
वर्ल्ड कप 1999
इस वर्ल्ड कप में भारत सुपर 6 मुकाबले तक ही पहुंच पाया। सुपर 6 में भारत का मुकाबला न्यू जीलैंड से था। इस मैच में भी सचिन से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन फिर उन्होंने निराश किया। इस मैच में सचिन ओपनिंग करने आए और 22 गेंदों में सिर्फ 16 रन बनाकर ही पविलियन की राह पकड़ लिए। भारत यह मैच न्यू जीलैंड से 5 विकेट से हार गया और वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीदें एक बार फिर खत्म हो गईं।
वर्ल्ड कप 2003
इस बार टीम इंडिया काफी संतुलित और मजबूत थी। वर्ल्ड कप जीतने की उम्मीदें ज्यादा थीं। भारत फाइनल तक पहुंचा भी। फाइनल में मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से था। हाई स्कोरिंग मैच में सचिन ने टीम को ही नहीं पूरे देश को निराश किया। सचिन पहले ही ओवर में 5 गेंदों पर सिर्फ 8 रन बनाकर पविलियन की राह पकड़ लिए। इस मैच में भारत को 125 रनों की करारी हार झेलनी पड़ी।
वर्ल्ड कप 2007
यह वर्ल्ड कप भारत के लिए बहुत ही बुरा रहा था। भारत सुपर 8 मुकाबले में भी नहीं पहुंच पाया था। लीग राउंड में भारत का आखरी मैच श्रीलंका के साथ था, जिसे जीतकर वह अगले राउंड में पहुंच सकता था। सचिन से पूरे देश को एक बार फिर उम्मीदें थीं। पर, सचिन इस मैच में खाता भी नहीं खोल पाएं।
वर्ल्ड कप 2011
इस बार भारत वर्ल्ड चैंपियन बना, लेकिन गौतम गंभीर और महेंद्र सिंह धोनी की शानदार बल्लेबाजी के बूते। पूरे टूर्नामेंट के दौरान सचिन जबर्दस्त फॉर्म में दिखे। फाइनल में भी उनसे ऐसी ही उम्मीदें थीं और सचिन ने क्या किया आपने देखा ही होगा। कई खिलाड़ी सिर्फ उनके लिए वर्ल्ड कप जीतना चाहते थे, पर उनके खेल देख कर लगा कि वह कप जीतना ही नहीं चाहते थे। इस फाइनल में वह सहवाग के साथ ओपनिंग करने आए। सहवाग पहले ही ओवर में बिना खाता खोले आउट हो गए। अब सारी उम्मीदों का बोझ उन पर था। हो भी क्यों नहीं, महान खिलाड़ी जो ठहरे। लेकिन, इस भगवान ने पूरे देश को निराश किया। एक गैर-जिम्मेदराना शॉट खेलते हुए सिर्फ 18 रन बनाकर पविलियन लौट गए। खैर, इस बार सचिन नहीं पूरी टीम खेल रही थी और भारत वर्ल्ड कप जीत गया।
मैं सचिन के महान होने पर सवाल नहीं खड़ा कर रहा। सिर्फ यह बताना चहता हूं कि सचिन बड़े मैचों के कितने छोटे खिलाड़ी हैं। अब आप बताइए सचिन बड़े मैचों के छोटे खिलाड़ी हैं कि नहीं?
manojjaiswalpbt@gmail.com
पकिस्तान से इंडिया सेमी में ही हार जाती दोस्त अगर सचिन न चलते
ReplyDeleteकोई हर मैच में चले ये जरुरी तो नही
अगर सचिन के बिना इंडिया हार जाती है तो इसमें उनका क्या दोस
yas आपका हार्दिक धन्यवाद
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