मनोज जैसवाल-चेन्नै।। सचिन तेंडुलकर के पास करोड़ों क्रिकेट प्रेमियों को होली के मौके पर ' शतकों का शतक ' का तोहफा देने का बेहतरीन मौका था , लेकिन वह इससे चूक गए।
इस महान बल्लेबाज ने अंपायर के नॉटआउट देने के बावजूद क्रीज छोड़कर खेल भावना की शानदार मिसाल पेश की। तेंडुलकर को तब अंपायर स्टीव डेविस ने नॉटआउट करार दिया था , जब वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज रवि रामपॉल की तेजी से उठती गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर विकेटकीपर डेवन थॉमस के दस्तानों में पहुंची थी।
तस्वीरों में : भारत Vs. वेस्ट इंडीज
तेंडुलकर ने तब चार गेंद पर दो रन बनाए थे , लेकिन वह अंपायर के नॉटआउट दिए जाने के बावजूद पविलियन की तरफ मुड़ गए , जिससे स्टेडियम में बैठे दर्शक सन्न रह गए।
सचिन इस वर्ल्ड कप में अब तक बढ़िया फॉर्म में दिखे थे और 2 सेंचुरी पहले ही लगा चुके थे। इससे क्रिकेट प्रेमियों को आज सचिन से 100 वीं सेंचुरी की उम्मीद थी।
सचिन वनडे और टेस्ट मैचों को मिलाकर कुल 99 सेंचुरी बना चुके हैं। सचिन ने टेस्ट में 51 और वनडे में 48 सेंचुरी ठोक चुके हैं। वर्ल्ड कप में सचिन की 6 सेंचुरी हैं , जिसमें से 2 सेंचुरी इसी वर्ल्ड कप में हैं। इस वर्ल्ड कप में सचिन साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड के खिलाफ सेंचुरी बना चुके हैं हालांकि यह दोनों मैच भारत नहीं जीत पाया था।
चेन्नै का एम.ए. चिदम्बरम यानी चेपक स्टेडियम कई मामलों में बहुत महत्वपूर्ण रहा है। इसी मैदान पर 1934 में रणजी ट्रॉफी का पहला मैच खेला गया था। इसी मैदान पर 10 फरवरी 1952 को भारत ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी पहली जीत दर्ज की थी। भारत ने इस मैच में इंग्लैंड को पारी और 8 रन से हराया था।
गावस्कर ने रेकॉर्ड 30वां शतक दिसंबर 1983 में इसी मैदान पर बनाया था। उन्होंने तब नाबाद 236 रन की पारी खेली थी , जो तब भारत की तरफ से टेस्ट मैचों में एक पारी में सर्वाधिक स्कोर भी था। गावस्कर ने तब इस शतक से सर डॉन ब्रैडमैन के 29 शतकों का रेकार्ड तोड़ा था।
यह भी संयोग है कि अब टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक व्यक्तिगत पारी का भारतीय रेकॉर्ड भी इसी मैदान से जुड़ा है। वीरेंद्र सहवाग ने 2008 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ चेपक में 319 रन की धमाकेदार पारी खेली थी। सचिन ने यहां पांच टेस्ट शतक जड़े हैं , लेकिन वनडे में यहां कोई सेंचुरी नहीं लगा पाए हैं।
manojjaiswalpbt@gmail.com
इस महान बल्लेबाज ने अंपायर के नॉटआउट देने के बावजूद क्रीज छोड़कर खेल भावना की शानदार मिसाल पेश की। तेंडुलकर को तब अंपायर स्टीव डेविस ने नॉटआउट करार दिया था , जब वेस्टइंडीज के तेज गेंदबाज रवि रामपॉल की तेजी से उठती गेंद उनके बल्ले का किनारा लेकर विकेटकीपर डेवन थॉमस के दस्तानों में पहुंची थी।
तस्वीरों में : भारत Vs. वेस्ट इंडीज
तेंडुलकर ने तब चार गेंद पर दो रन बनाए थे , लेकिन वह अंपायर के नॉटआउट दिए जाने के बावजूद पविलियन की तरफ मुड़ गए , जिससे स्टेडियम में बैठे दर्शक सन्न रह गए।
सचिन इस वर्ल्ड कप में अब तक बढ़िया फॉर्म में दिखे थे और 2 सेंचुरी पहले ही लगा चुके थे। इससे क्रिकेट प्रेमियों को आज सचिन से 100 वीं सेंचुरी की उम्मीद थी।
सचिन वनडे और टेस्ट मैचों को मिलाकर कुल 99 सेंचुरी बना चुके हैं। सचिन ने टेस्ट में 51 और वनडे में 48 सेंचुरी ठोक चुके हैं। वर्ल्ड कप में सचिन की 6 सेंचुरी हैं , जिसमें से 2 सेंचुरी इसी वर्ल्ड कप में हैं। इस वर्ल्ड कप में सचिन साउथ अफ्रीका और इंग्लैंड के खिलाफ सेंचुरी बना चुके हैं हालांकि यह दोनों मैच भारत नहीं जीत पाया था।
चेन्नै का एम.ए. चिदम्बरम यानी चेपक स्टेडियम कई मामलों में बहुत महत्वपूर्ण रहा है। इसी मैदान पर 1934 में रणजी ट्रॉफी का पहला मैच खेला गया था। इसी मैदान पर 10 फरवरी 1952 को भारत ने टेस्ट क्रिकेट में अपनी पहली जीत दर्ज की थी। भारत ने इस मैच में इंग्लैंड को पारी और 8 रन से हराया था।
गावस्कर ने रेकॉर्ड 30वां शतक दिसंबर 1983 में इसी मैदान पर बनाया था। उन्होंने तब नाबाद 236 रन की पारी खेली थी , जो तब भारत की तरफ से टेस्ट मैचों में एक पारी में सर्वाधिक स्कोर भी था। गावस्कर ने तब इस शतक से सर डॉन ब्रैडमैन के 29 शतकों का रेकार्ड तोड़ा था।
यह भी संयोग है कि अब टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक व्यक्तिगत पारी का भारतीय रेकॉर्ड भी इसी मैदान से जुड़ा है। वीरेंद्र सहवाग ने 2008 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ चेपक में 319 रन की धमाकेदार पारी खेली थी। सचिन ने यहां पांच टेस्ट शतक जड़े हैं , लेकिन वनडे में यहां कोई सेंचुरी नहीं लगा पाए हैं।
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