करते थे। जिस तरह आज शहरों और सुविधासंपन्न गांवों में तकरीबन हर घर में टेलीविजन मौजूद है, ऐसा उस समय नहीं हुआ करता था। अस्सी के दशक में देश में जब टेलीविजन ने उच्चवर्गीय घरों के दायरे से निकलते हुए मध्यवर्गीय परिवारों में प्रवेश किया, तो किसी को यह अंदाजा नहीं रहा होगा कि इतनी जल्दी यह इतना लोकप्रिय हो जायेगा। 1990 के महज एक दशक की अवधि में यह तकरीबन प्रत्येक मध्यवर्गीय घरों में लोकप्रिय हो गया।
भारत में भले ही टेलीविजन की शुरुआत 1959 में हो चुकी थी, लेकिन इसकी लोकप्रियता 1980 के दशक में कायम हुई। रामानंद सागर निर्देशित धारावाहिक ‘रामायण’ 1982 के एशियाई खेलों और 1987 में भारत में आयोजित ‘विश्व कप क्रिकेट’ ने भारत में टेलीविजन की लोकप्रियता को बहुत हद तक बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभायी। धारावाहिक ‘रामायण’ के प्रसारण के समय तो सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था।
इसे टेलीविजन की लोकप्रियता ही कहा जायेगा कि इस धारावाहिक में ‘भगवान राम’ का किरदार निभानेवाले अरुण गोविल को लोग उनके नाम से कम, बल्कि ‘भगवान राम’ की भूमिका के लिए अधिक जानने लगे। तकरीबन उसी दौर में ‘बुनियाद’ और ‘हम लोग’ जैसे धारावाहिकों, जिन्हें भारत का शुरुआती शोप ऑपेरा भी कहा जा सकता है, ने भारत में टेलीविजन की दुनिया को एकदम से बदल दिया। क्रिकेट खेल के सीधे प्रसारण ने लोगों में एक अलग तरह का रोमांच पैदा कर दिया। हालांकि उस दौर में रंगीन टेलीविजन की शुरुआत हो चुकी थी, लेकिन ब्लैक एंड व्हाइट की तुलना में ज्यादा कीमती होने के चलते इसकी मौजूदगी बहुत कम ही घरों में थी। लेकिन दो दशकों से कम समय में भारत में टेलीविजन ने संचार के दूसरे साधनों के समान ही अविश्वसनीय प्रगति की है। इस प्रगति की कहानी में दूरदर्शन की कहानी अभिन्न तरीके से जुड़ी हुई है।
टेलीविजन की कहानी
कई लोगों की कड़ी मेहनत और तकरीबन तीन दशक के रिसर्च के बाद टेलीविजन का आविष्कार हुआ। सबसे पहले 1875 में बोस्टन के जॉर्ज कैरे ने सुझाव दिया था कि किसी चित्र के सारे अवयवों या घटकों को एक साथ इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भेजा जा सकता है। इसी विचार को आगे बढ़ाते हुए 1887 में एडवियर्ड मायब्रिज ने इनसान और जानवरों के हलचल की फोटोग्राफिक रिकॉर्डिग की। इसे उन्होंने लोकोमोशन नाम दिया। इसके बाद ऑगस्टे और लुईस लुमियर नाम के दो भाईयों ने सिनेमैटोग्राफ नाम की संरचना का विचार रखा, जिसमें एक साथ कैमरा, प्रोजेक्टर और प्रिंटर था। उन दोनों ने 1895 में पहली पब्लिक फिल्म बनायी। 1907 में रूसी वैज्ञानिक बोरिस रोसिंग ने पहले एक प्रयोगात्मक टेलीविजन प्रणाली के रिसीवर में एक सीआरटी का उपयोग किया और इससे टीवी को नया रूप मिला। फिर लंदन में स्कॉटिश आविष्कारक जॉन लोगी बेयर्ड चलती छवियों के संचरण का प्रदर्शन करने में सफल रहे। बेयर्ड स्कैनिंग डिस्क ने एक रंग छवियों का 30 लाइनों को संकल्प कर उसे प्रस्तुत किया। इस तरह टीवी के आविष्कार में अनेक वैज्ञानिकों ने अहम रोल अदा किया, लेकिन ब्लादीमीर ज्योरकिन को ही ‘टीवी का पिता’ कहा जाता है। उन्होंने 1923 में आइकोनोस्कोप की खोज की। यह ऐसी ट्यूब थी, जो एक चित्र को इलेक्ट्रॉनिक तरीके से किसी चित्र से जोड़ती है। इसके कुछ साल बाद ही उन्होंने काइनस्कोप यानी कैथोडत्नरे ट्यूब खोज निकाली। इसकी मदद से उन्होंने एक स्क्वायर इंच का पहला टीवी बनाया। यह ब्लैक एंड व्हाइट टीवी थी। इसके बाद रंगीन टेलीविजन की तकनीक को खोजने में तकरीबन बीस वर्ष लग गये। दुनिया की पहली रंगीन टेलीविजन 1953 में बनी।
टेलीविजन प्रसारण में बीबीसी ने पहला टीवी प्रसारण केंद्र बनाते हुए 1932 में अपनी सेवा शुरू की। 22 अगस्त, 1932 को लंदन के ब्रॉडकास्ट हाउस से पहली बार टीवी का प्रायोगिक प्रसारण शुरू हुआ और 2 नवंबर, 1932 को बीबीसी ने एलेक्जेंडरा राजमहल से दुनिया का पहला नियमित टीवी चैनल का प्रसारण शुरू कर दिया था। इसके पांच साल बाद राजा जॉर्ज छठवें ने राज्याभिषेक समारोह को ब्रिटेन की जनता तक सीधे पहुंचाने के लिए पहली बार ओवी वैन का इस्तेमाल किया। उसके बाद 12 जून 1937 को पहली बार विंबल्डन टेनिस का सीधा प्रसारण दिखाया गया था। 9 नवंबर 1947 को टेलीविजन के इतिहास में पहली बार टेली रिकार्डिग कर उसी कार्यक्रम का रात में प्रसारण किया गया। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में 1946 में एबीसी टेलीविजन नेटवर्क का उदय हुआ। पहली बार रंगीन टेलीविजन का अविर्भाव 17 दिसंबर 1953 को अमेरिका में हुआ और विश्व का पहला रंगीन विज्ञापन कैप्सूल 6 अगस्त 1953 को न्यूयॉर्क में प्रसारित हुआ था। 1967 में पूरी दुनिया की करोड़ों जनता ने अमेरिका की नेटवर्क टीवी के जरिये चांद पर गये दोनों आतंरिक्ष यात्रियों को चांद पर उतरते देखा। इसके बाद 1976 में पहली बार केबल नेटवर्क के जरिये टेलीविजन प्रसारण का इतिहास कायम किया गया। 1979 में सिर्फ खेलकूद का विशेष टीवी नेटवर्क इएसपीएन स्थापित हुआ।
पिछले दो दशकों में टेलीविजन की दुनिया ने आश्चर्यजनक प्रगति की है। इस प्रगति में न सिर्फ नये नये टेलीविजन सेटों का आविष्कार शामिल है, बल्कि टेलीविजन देखने का पूरा तरीका ही बदल गया है। अब टेलीविजन मोबाइल फोन और इंटरनेट पर भी उपलब्ध है। आज टेलीविजन हाइ डिफिनिशन हो चुका है, थ्री डाइमेंशनल हो गया है। वास्तव में अपनी शुरुआत के 80 वर्षो में टेलीविजन की प्रगति आश्चर्यचकित करती है, लेकिन आनेवाले समय में इसे कंप्यूटर से और कड़ी चुनौती मिलना तय है। बहरहाल दुनिया में संचार के तरीके को बदलने में इसने जो भूमिका निभायी है, वह अविस्मरणीय है।
टेलीविजन संचार का सबसे सशक्त माध्यम है। लोगों को दुनियाभर की जानकारी देने में टेलीविजन की अहम भूमिका को देखते हुए 17 दिसंबर, 1996 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 21 नवंबर को हर वर्ष विश्व टेलीविजन दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया। 21 नवंबर की तारीख इसलिए चुनी गयी, क्योंकि इसी दिन पहले विश्व टेलीविजन फोरम की बैठक हुई थी। माना जाता है कि विश्व टेलीविजन दिवस मनाने का कारण यह भी रहा कि टेलीविजन के द्वारा एक दूसरे देशों की शांति, सुरक्षा, आर्थिक सामाजिक विकास व संस्कृति को जाना व समझा जा सके।
दूरदर्शन की उपलब्धि
दूरदर्शन ने देश में सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन, राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देने और वैज्ञानिक सोच को एक नयी दिशा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी। इसने देश में लंबे समय तक पब्लिक ब्रॉडकास्टर की भूमिका निभायी और अपनी तमाम खामियों के बावजूद यह काम आज भी कर रहा है। दूरदर्शन का पहला प्रसारण 15 सितंबर, 1959 को प्रयोगात्मक आधार पर आधे घंटे के लिए शैक्षिक और विकास कार्यक्रमों के रूप में शुरू किया गया था। उस समय दूरदर्शन का प्रसारण सप्ताह में महज तीन दिन आधा आधा घंटे ही होता था। उस समय इसे ‘टेलीविजन इंडिया’ के नाम से जाना जाता था। वर्ष 1975 में इसका हिंदी नामकरण ‘दूरदर्शन’ नाम से किया गया।
दूरदर्शन ने धीरे-धीरे अपने पैर पसारे और दिल्ली में 1965, मुंबई में 1972, कोलकाता और चेन्नई में 1975 में इसका प्रसारण शुरू किया गया। 15 अगस्त, 1965 को पहले समाचार बुलेटिन का प्रसारण दूरदर्शन से किया गया था। दूरदर्शन के नेशनल चैनल पर रात साढ़े आठ बजे प्रसारित होने वाला राष्ट्रीय समाचार बुलेटिन तकरीबन उसी समय से आज भी जारी है। 1982 में दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों के प्रसारण से श्वेत और श्याम दिखने वाला दूरदर्शन रंगीन हो गया।
दूरदर्शन की यात्रा
आकाशवाणी के भाग के रूप में टेलीविजन सेवा की नियमित शुरुआत दिल्ली से वर्ष 1965 से हुई थी। दूरदर्शन की स्थापना 15 सितंबर, 1976 को हुई। उसके बाद रंगीन प्रसारण की शुरुआत नयी दिल्ली में 1982 के एशियाई खेलों के दौरान हुई। इसके बाद तो देश में प्रसारण क्षेत्र में बड़ी क्रांति आ गयी। दूरदर्शन का तेजी से विकास हुआ और 1984 में देश में तकरीबन हर दिन एक ट्रांसमीटर लगाया गया। इस मामले में कुछ महत्वपूर्ण मोड़ को इस तरह से रेखांकित किया जा सकता है।
- दूसरे चैनल की शुरुआत : दिल्ली (9 अगस्त, 1984), मुंबई (1 मई, 1985), चेन्नई (19 नवंबर, 1987), कोलकाता (1 जुलाई, 1988)
- मेट्रो चैनल शुरू करने के लिए एक दूसरे चैनल की नेटवर्किग : 26 जनवरी, 1993
-अंतरराष्ट्रीय चैनल डीडी इंडिया की शुरुआत : 14 मार्च, 1995
प्रसार भारती का गठन (भारतीय प्रसारण निगम) : 23 नवंबर, 1997
-खेल चैनल डीडी स्पोर्ट्स की शुरुआत : 18 मार्च, 1999
-संवर्धन/ सांस्कृतिक चैनल की शुरुआत : 26 जनवरी, 2002
-24 घंटे के समाचार चैनल डीडी न्यूज की शुरुआत : 3 नवंबर, 2002
-निशुल्क डीटीएच सेवा डीडी डाइरेक्ट प्लस की शुरुआत : 16 दिसंबर, 2004
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बेहद दिलचस्प लेख मनोज जी विस्तार से इतनी अच्छी जानकारी देने का धन्यवाद.
ReplyDeleteVery Nice Article
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteGreat...
ReplyDeleteआ० बहुत बढ़िया , सुंदर विस्तृत लेखन के साथ साथ बढ़िया प्रस्तुति , धन्यवाद मनोज भाई
ReplyDeleteरोचक जानकारी मनोज जी थैंक्स.
ReplyDeleteबहुत ही दिलचस्प एवं रोचक जानकारी मनोज जी. आभार.
ReplyDeleteबेहद दिलचस्प लेख मनोज जी
ReplyDeleteअच्छी जानकारी मनोज जी विस्तार से इतनी अच्छी जानकारी देने का धन्यवाद.
ReplyDeleteज्ञानवर्धक व् रोचक जानकारी विस्तार से देने के लिए मनोज जी थैंक्स.
ReplyDeleteसुंदर विस्तृत लेखन के साथ साथ इतनी अच्छी जानकारी देने का धन्यवाद मनोज जी.
ReplyDeleteबहुत ही दिलचस्प एवं रोचक जानकारी मनोज जी थैंक्स.
ReplyDeleteइतनी अच्छी जानकारी देने का धन्यवाद.
ReplyDeleteरोचक जानकारी
ReplyDeleteदिलचस्प लेख मनोज जी धन्यवाद.
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ReplyDeleteबहुत ही दिलचस्प एवं रोचक आलेख मनोज जी थैंक्स.
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ReplyDeleteदिलचस्प एवं रोचक आलेख. आभार.
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ReplyDeleteदिलचस्प एवं रोचक आलेख मनोज जी थैंक्स
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ReplyDeleteअच्छी जानकारी मनोज जी धन्यवाद.
ReplyDeleteदिलचस्प और ज्ञानदायी लेख। टेलीविज़न का पूरा इतिहास ही आपने अपने इस लेख में समेट लिया है। धन्यवाद।।
ReplyDeleteनया ब्लॉग - संगणक
विस्तार से इतनी अच्छी जानकारी देने का धन्यवाद.
ReplyDeleteआपको ये जानकर अत्यधिक प्रसन्नता होगी की ब्लॉग जगत में एक नई ब्लॉग डायरेक्टरी डायरेक्टरी शुरू हुई है।
ReplyDeleteजिसमें आपके ब्लॉग को तकनीकी ब्लॉग्स की श्रेणी में शामिल किया गया है। सादर ..... आभार।।
हर्षवर्धन जी, आपका आभार देर से जबाब देने के लिए माफ़ी।
Deleteतथ्यात्मक व रोचक विवरण।
ReplyDeleteTelevision has played a pivotal role in the socialization of the 20th and 21st centuries. What if television news disappeared and we invented ourselves? Watching television is an experience shared by the vast majority of children and adults. It is convenient, inexpensive, available, and attractive.
ReplyDeleteआदरणीय मनोज भाई , बहुत बढ़िया व टॉप का ब्लॉग आपका है जिसे मैंने टॉप ५ फ्रेंड्स सूची में शामिल किया है , कल ३१-१२-२०१३ को आपके ब्लॉग का लिंक मै अपने ब्लॉग पोस्ट पे दे रहा हूँ , कृपया पधारने की कृपा करें , धन्यवाद
ReplyDeleteI.A.S.I.H top 2013 ( टॉप १० हिंदी ब्लोगेर्स , हिंदी सोंग्स , टॉप वालपेपर्स , टॉप १० फ्री pc softwares वेबसाइट लिंक्स ) और ?
आपका शुकिया आशीष भाई देर से जबाब देने के लिए माफ़ी चाहता हूँ।
Deleteसुंदर विस्तृत लेखन के साथ साथ बढ़िया प्रस्तुति
ReplyDeleteरोहित वर्मा जी,पोस्ट पर कमेंट के लिए आभार । देर से जबाब देने के लिए माफ़ी चाहता हूँ।
Deleteआपको भी नव वर्ष की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामाये। देर से जबाब देने के लिए माफ़ी चाहता हूँ।
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