एक पेमेंट कंपनी के सीनियर एग्जेक्युटिव ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, 'इंडिया में चलने वाला कार्ड का प्रपोजल ठीक नहीं है। हालांकि, इससे धोखाधड़ी को काबू करने में मदद मिल सकती है। यह फैसिलिटी वैसे कस्टमर यूज कर सकते हैं, जो प्रफेशनल्स की तरह दूसरे देश नहीं जाते। अगर यह डोमेस्टिक कार्ड होता है, तो इसे किसी भी तरह से स्किम्ड या हैक करके विदेश में यूज नहीं किया जा सकेगा।'
एक सीनियर बैंकर ने कहा, 'चिप बेस्ड कार्ड पर 250 से 350 रुपए का खर्च आएगा, जिसका खर्च बैंक उठाएंगे या उसे कस्टमर पर डाल देंगे। सालाना फीस में बढ़ोतरी हो सकती है। हालांकि, कुछ बैंक शायद इस बोझ को कस्टमर पर न डालें। ऐसा नहीं है कि हमने कुछ नहीं किया है। इंडिया अकेला ऐसा देश है, जहां बैंकों के पास हर ट्रांजैक्शन के लिए एसएमएस अलर्ट भेजने का इंफ्रास्ट्रक्चर है। रिस्क तो इससे भी घटता है।'
आईसीआईसीआई बैंक के प्रवक्ता ने कहा, 'बैंक अपने सभी नए वीजा और मास्टर कार्ड कस्टमर्स को पिछले कुछ महीनों से चिप लगे काड्र्स भेज रहा है। वह मौजूदा कार्डहोल्डर्स को मैग्नेटिक काड्र्स के रिन्यूवल पर चिप वाले कार्ड में बदलने का भी ऑप्शन दे रहा है।
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Nice Article
ReplyDeleteअच्छी जानकारी
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (16-02-2013) के चर्चा मंच-1157 (बिना किसी को ख़बर किये) पर भी होगी!
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कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
सादर...!
बसन्त पञ्चमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ!
सूचनार्थ!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ज्ञानवर्धक जानकारी धन्यवाद मनोज जी
ReplyDeletevery nice sir.
ReplyDeleteGreat...
ReplyDeleteडॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'जी सहित सभी लोगों का पोस्ट पर कमेन्ट के लिए दिल से आभार.
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