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बैनर : वाय फिल्म्स
निर्माता : आशीष पाटिल
निर्देशक : बम्पी
संगीत : राम सम्पत
कलाकार : श्रद्धा कपूर, ताहा शाह, शेनाज ट्रेजरीवाला, जन्नत जुबैर रहमानी, अर्चना पूरन सिंह, पश्ती एस.
सेंसर सर्टिफिकेट : यू/ए * 1 घंटा 48 मिनट * 12 रील
रेटिंग : 2.5/5
आमतौर पर हिंदी फिल्मों में दिखाया जाता है कि यदि हीरोइन को उसके प्रेमी ने धोखा दिया है तो वह आँसू बहाती है या नियति मानकर चुपचाप बैठी रहती है, लेकिन ‘लव का द एंड’ की हीरोइन ऐसी नहीं है। वह तुरंत फैसला लेती है अपने प्रेमी से बदला लेने का। उसे सबक सिखाने का।
‘आई विल गेट हिम बाय हिज़ बॉल्स’ जैसे संवाद भी सुनने को मिलते हैं। हीरोइन का यह रूप और अंदाज इस फिल्म को फ्रेश लुक देता है, लेकिन यही सब एक अच्छी फिल्म के लिए काफी नहीं है। फिल्म के स्क्रीनप्ले में गड़बड़ी है और इस वजह से फिल्म भरपूर मजा नहीं दे पाती क्योंकि बीच-बीच में रफ पैचेस भी हैं।
रिया (श्रद्धा कपूर) का जन्मदिन है और उसका बॉयफ्रेंड लव (ताहा शाह) चाहता है कि दोनों उस दिन शारीरिक संबंध बनाए। रिया तैयार है। इसके पहले कि लव और रिया अपने रिश्ते को नेक्स्ट लेवल तक ले जाए, रिया के सामने लव का राज खुल जाता है।
लव उससे प्यार नहीं करता बल्कि वह सिर्फ उसके साथ सोना चाहता है। साथ ही वह एक वेबसाइट बिलियनेयर बॉयज क्लब का सदस्य भी है जो उन सदस्यों को पाइंट्स देती है जो अपने प्यार और सेक्स के वीडियो को वेबसाइट पर डाउनलोड करते हैं।
रिया और उसकी दो दोस्त जग्स और सोनिया, लव का द एंड करने की सोचते हैं और उसे सबक सिखाते हैं। दरअसल बदला लेने के लिए रिया और उसकी सहेलियाँ जो हरकतें करती हैं वो कही-कही जगह बचकानी लगती हैं।
ये बात ठीक है कि फिल्म का माहौल ऐसा बनाया गया है जो थोड़ा कॉमेडी का टच लिए हो, युवाओं को अच्छा लगे, लेकिन सब कुछ इतनी आसानी से हो जाता है कि कुछ देर बाद अखरने लगता है।
कुछ दृश्य ऐसे हैं जो मजेदार बन पड़े हैं। खासतौर पर लव के अंडरवियर में खुजली का पावडर डाल दिया गया है। वह अपनी दूसरी गर्लफ्रेंड के सामने बैठा है और बेसब्री से खुजाने को बेताब है। रिया और उसकी छोटी बहन के दृश्य भी अच्छे हैं। रिया की छोटी बहन अपनी 18 वर्षीय दीदी को कहती है कि उसकी (छोटी बहन की) जनरेशन की बातें वह नहीं समझ पाएगी।
क्लाइमेक्स में फिल्म कमजोर पड़ जाती है, जब रिया को लव एक कमरे में ले जाता है ताकि उसके साथ संबंध बना सके और बाहर पार्टी में उसके दोस्त टीवी स्क्रीन पर अंदर का माजरा देख रहे हैं।
संवाद और कलाकारों का अभिनय फिल्म की जान है। श्रद्धा कपूर ने अपने अभिनय की रेंज दिखाई है, लेकिन उनसे बाजी मार ले जाती है उनकी मोटी सहेली जग्स बनी पश्ती एस.। हीरो के रूप में ताहा शाह प्रभावित करते हैं।
निर्देशक बम्पी ने फेसबुक जनरेशन को बेहतरीन तरीके से पेश किया है। उनकी बातें, ड्रेस सेंस, बेबाकी, स्क्रीन पर देखते समय अच्छी लगती है। यदि स्क्रिप्ट का उन्हें पूरी तरह मिल जाता तो बात अलग होती।
राम संपत का संगीत तेज गति का है। टू नाइट, फन फंडा और मटन सांग देखते समय अच्छे लगते हैं। हालाँकि मटन सांग के लिए ठीक से सिचुएशन नहीं बनाई गई है।
‘लव का द एंड’ में ताजगी है तो है लेकिन सुगंध में कमी महसूस होती है।
मनोज जैसवाल
PR
निर्माता : आशीष पाटिल
निर्देशक : बम्पी
संगीत : राम सम्पत
कलाकार : श्रद्धा कपूर, ताहा शाह, शेनाज ट्रेजरीवाला, जन्नत जुबैर रहमानी, अर्चना पूरन सिंह, पश्ती एस.
सेंसर सर्टिफिकेट : यू/ए * 1 घंटा 48 मिनट * 12 रील
रेटिंग : 2.5/5
आमतौर पर हिंदी फिल्मों में दिखाया जाता है कि यदि हीरोइन को उसके प्रेमी ने धोखा दिया है तो वह आँसू बहाती है या नियति मानकर चुपचाप बैठी रहती है, लेकिन ‘लव का द एंड’ की हीरोइन ऐसी नहीं है। वह तुरंत फैसला लेती है अपने प्रेमी से बदला लेने का। उसे सबक सिखाने का।
‘आई विल गेट हिम बाय हिज़ बॉल्स’ जैसे संवाद भी सुनने को मिलते हैं। हीरोइन का यह रूप और अंदाज इस फिल्म को फ्रेश लुक देता है, लेकिन यही सब एक अच्छी फिल्म के लिए काफी नहीं है। फिल्म के स्क्रीनप्ले में गड़बड़ी है और इस वजह से फिल्म भरपूर मजा नहीं दे पाती क्योंकि बीच-बीच में रफ पैचेस भी हैं।
रिया (श्रद्धा कपूर) का जन्मदिन है और उसका बॉयफ्रेंड लव (ताहा शाह) चाहता है कि दोनों उस दिन शारीरिक संबंध बनाए। रिया तैयार है। इसके पहले कि लव और रिया अपने रिश्ते को नेक्स्ट लेवल तक ले जाए, रिया के सामने लव का राज खुल जाता है।
लव उससे प्यार नहीं करता बल्कि वह सिर्फ उसके साथ सोना चाहता है। साथ ही वह एक वेबसाइट बिलियनेयर बॉयज क्लब का सदस्य भी है जो उन सदस्यों को पाइंट्स देती है जो अपने प्यार और सेक्स के वीडियो को वेबसाइट पर डाउनलोड करते हैं।
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ये बात ठीक है कि फिल्म का माहौल ऐसा बनाया गया है जो थोड़ा कॉमेडी का टच लिए हो, युवाओं को अच्छा लगे, लेकिन सब कुछ इतनी आसानी से हो जाता है कि कुछ देर बाद अखरने लगता है।
कुछ दृश्य ऐसे हैं जो मजेदार बन पड़े हैं। खासतौर पर लव के अंडरवियर में खुजली का पावडर डाल दिया गया है। वह अपनी दूसरी गर्लफ्रेंड के सामने बैठा है और बेसब्री से खुजाने को बेताब है। रिया और उसकी छोटी बहन के दृश्य भी अच्छे हैं। रिया की छोटी बहन अपनी 18 वर्षीय दीदी को कहती है कि उसकी (छोटी बहन की) जनरेशन की बातें वह नहीं समझ पाएगी।
क्लाइमेक्स में फिल्म कमजोर पड़ जाती है, जब रिया को लव एक कमरे में ले जाता है ताकि उसके साथ संबंध बना सके और बाहर पार्टी में उसके दोस्त टीवी स्क्रीन पर अंदर का माजरा देख रहे हैं।
संवाद और कलाकारों का अभिनय फिल्म की जान है। श्रद्धा कपूर ने अपने अभिनय की रेंज दिखाई है, लेकिन उनसे बाजी मार ले जाती है उनकी मोटी सहेली जग्स बनी पश्ती एस.। हीरो के रूप में ताहा शाह प्रभावित करते हैं।
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राम संपत का संगीत तेज गति का है। टू नाइट, फन फंडा और मटन सांग देखते समय अच्छे लगते हैं। हालाँकि मटन सांग के लिए ठीक से सिचुएशन नहीं बनाई गई है।
‘लव का द एंड’ में ताजगी है तो है लेकिन सुगंध में कमी महसूस होती है।
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