वे कहते हैं कि जब तक आरोप सिद्ध नहीं हो जाता तब तक कोई दोषी नहीं होता। कहने के लिए तो यह बात ठीक है पर लोकतंत्र में राजनेताओं का जीवन जनता की कसौटी पर खरा उतरना चाहिए। दुनिया के एक बहुत बड़े संविधान विशेषज्ञ और वकील सर आइवर जेनिंग के अनुसार- किसी मंत्री में जो सबसे पहला मुख्य गुण होना चाहिए वह है ईमानदारी का। इतना ही नहीं बल्कि लोग देखें और समझें भी कि वह ईमानदार है। अब जनता अपने प्रतिनिधियों से मांग कर रही है कि कम से कम आप सेवा तो ईमानदारी से कीजिए।एक के बाद एक घोटालों के आरोपों ने सरकारों की साख पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं। लेकिन भ्रष्टाचार के मामले में उनका रवैया जहां नेताओं को बचाने का रहा है, वहीं भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वालों को फंसाने का रहा है। आंदोलनकारियों के खिलाफ वे बदले की भावना से कार्रवाई करती है। आरोपियों को मंत्री बनाया जाना हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए नुकसानदेह है। अदालत में मामला विचारार्थ स्वीकार होते ही आरोपी व्यक्ति को मंत्री पद से हट जाना चाहिए या प्रधानमंत्री को उसे बर्खास्त कर देना चाहिए। क्योंकि आरोपी सांसद या विधायक मंत्री बनकर जांच के मामले में अनुचित दबाव डाल सकता है और मामले को वर्षों तक दांव-पेच में उलझाये रख सकता है।स्वतंत्रता के बाद भारत के सामने नेतृत्व की नैतिकता की इतनी बड़ी चुनौती कभी नहीं आई जो आज उसके सामने है। हालांकि यह चुनौती एक दिन या कुछ महीनों में नहीं पैदा हुई है, इसकी शुरुआत 1970 के बाद से ही हो गयी थी। पहले ज्यादातर ईमानदार, कर्तव्यनिष्ठ और उत्कृष्ट देश प्रेमी राजनेता शिखर पर थे। आज उनकी जगह बहुत से ऐसे राजनीतिज्ञों ने ले ली है जो देश के हित का कम और अपने हित का अधिक ख्याल रखते हैं। अन्य एशियाई देश जिन्होंने हमारे साथ हमारे स्तर पर अपनी प्रगति यात्रा आरम्भ की थी, आज हमसे आर्थिक एवं राजनीतिक दृष्टि से कहीं आगे हैं। लेकिन हमारी गिनती दुनिया के भ्रष्टतम देशों में होती है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल में कुछ दागी मंत्रियों को लेकर विपक्ष आन्दोलित है। हालांकि उसका भी दामन साफ नहीं रहा है। हमारी राजनीतिक-प्रशासनिक व्यवस्था के पतन पर वोहरा कमेटी की रिपोर्ट पर्याप्त प्रकाश डाल चुकी है।जो राजनेता या मंत्री अपना नैतिक आधार छोड़ देते हैं वे देर-सबेर अन्य प्रकार के अपराधों और भ्रष्टाचार में भी लिप्त हो जाते हैं। इस स्थिति को बनाये रखने में मीडिया और संवैधानिक कानूनों का भी अपना योगदान है। ऐसे राजनेताओं के क्रियाकलापों को भारतीय मीडिया छिपाता रहा है। पश्चिमी देशों में राजनेताओं की नैतिक दुर्बलताओं और चरित्र को उजागर करने में मीडिया की भूमिका काबिले तारीफ रही है। भ्रष्ट चरित्र के बड़े-बड़े नेताओं को इस्तीफा देना पड़ा है। अब हमें भी सचेत हो जाना चाहिए और अपनी उदासीनता को समाप्त कर यह जान लेना चाहिए कि यदि हम खामोश रहे तो इससे देश की एकता और अखंडता को भारी खतरा है। हमारी न्याय प्रणाली और दंड संहिता की कमियों के कारण बड़ा से बड़ा अपराधी कानून के फंदे से बचता रहा है। यदि आपके पास पैसा है और आप बाहुबली हैं तो मामले को अदालत में वर्षों तक उलझाये रख सकते हैं। बड़े-बड़े अपराधियों के खिलाफ गवाही देने का मतलब अपनी जान से हाथ धोना है। सबूत के अभाव में अक्सर बड़े अपराधी अदालतों से बाइज्जत बरी हो जाते हैं।देश के प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को ईमानदार प्रधानमंत्री माना जाता है पर उनके ही राज में बड़े-बड़े घोटालों के आरोप लगे हैं और वे उसे रोक नहीं पाये। नेतृत्व में ऐसे लोग भी शामिल हैं जिन पर यह देश भरोसा नहीं कर सकता है। कुछ स्वार्थी राजनेताओं ने हमारे जनतंत्र को निर्देशनविहीन राजतंत्र बना दिया है। इस देश ने महात्मा गांधी और जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं को जन्म दिया, जिन्हें नैतिकता का शक्तिपुंज माना गया है। लेकिन आज देश के पास ऐसे राजनेता भी नहीं जो लोगों को प्रेरणा दे सके। राजनीतिक दल अपराधियों को टिकट देते हैं अथवा उनके धन और बाहुबल का इस्तेमाल कर विभिन्न स्तरों पर चुनाव जीतते हैं। इस मामले में किसी भी दल के हाथ पूरी तरह साफ नहीं है। चुनाव आयोग ने आपराधिक पृष्ठभूमि वाले लोगों के चुनाव लडऩे पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की बात कही थी तो कोई पार्टी तैयार नहीं हुई। यदि उस समय कानून बन जाता तो दागी सांसद चुनाव लड़ ही नहीं पाते और मंत्री नहीं बन पाते। राजग ने पोटा का कानून बनाया पर इस मामले में खामोश रहा।लोकसभा का चुनाव जीतकर आज संसद में आये 152 सांसद ऐसे हैं जिनके खिलाफ बड़े गंभीर आरोप हैं। राज्यों की विधान सभाओं की स्थिति तो और भी खराब है। उ.प्र. में कई मंत्रियों को लोकायुक्त की रिपोर्ट के बाद पद से हटाया गया है। मतदाता भी कम जिम्मेदार नहीं है जो ऐसे लोगों को चुनते हैं। इसके लिए वे सभी लोग भी जिम्मेदार हैं जो मतदान करने ही नहीं जाते हैं। अपने हाथ खड़े करके हम स्वस्थ समाज की कल्पना नहीं कर सकते। कई क्षेत्रों में 15 से 20 फीसदी मतदाता ही जातिवाद,क्षेत्रवाद या साम्प्रदायिकता के आधार पर ऐसे बाहुबलियों या अपराधियों को चुन लेते हैं। देश के साथ-साथ सभी दलों को अपराधियों से खतरा है जिसके लिए सभी दलों को हाथ मिलाने की जरूरत है।वास्तव में किसी गुणी और अच्छे प्रधानमंत्री या मंत्री की नेतृत्व की योग्यताओं में सर्वोपरि है कुछ नया कर दिखाने की कभी न समाप्त होने वाली इच्छा। नेता वह है जो लोगों को गतिशील बनाने के अलावा उन्हें एक साथ जुटाने की क्षमता रखता है। किसी राष्ट्र की प्रगति तभी संभव है जब वह अपने योग्य व्यक्तियों का अधिक से अधिक उपयोग करेगा। अपने राष्ट्र की आकांक्षाओं को पूरा करने की चुनौती आज हमारे सामने है। इस स्थिति को तभी बदला जा सकता है जब देश की जनता स्वयं उठ खड़ी हो और वह राजनीतिक दलों में घुसे अपराधियों को दल से बाहर निकालने के लिए उनके नेताओं को बाध्य कर दे।
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सटीक बात कही आपने
ReplyDeletePrem Raj जी,पोस्ट पर कमेन्ट के लिए आभार।
Deleteनैतिकता बची ही कहाँ है ?
ReplyDeleteअमित जी,आपकी बात सही प्रतीत होती है।
DeleteGret Article
ReplyDeleteराजेश्वर राजभर जी,पोस्ट पर कमेन्ट के लिए आभार।
DeleteLoss of moral values can be seen in general and specially in Politicians.
ReplyDeleteसच कहा आपने।
Deleteअपराधों की मंडी में सब खोट छिपाये फिरते हैं..
ReplyDeleteप्रवीण पाण्डेय जी,आपकी बात सही प्रतीत होती है।
Deleteआजकल तो ज्यादातर देश को तोड़ने की ही राजनीतियाँ हो रही हैं ,पता नही ये माहौल कब बदलेगा.
ReplyDeleteआमिर जी,अति हर चीज की खराब होती है,जल्द ही यह माहौल भी बदलेगा।
Deleteसटीक बात
ReplyDeleteAjay Sharma जी,पोस्ट पर कमेन्ट के लिए आभार।
Deleteराजनीती के गन्दी नालियों में सब मुखौटे लगाये हुए हैं किस पर भरोसा करेंगें.
ReplyDeleteराजेंद्र जी,निराश हो कर बैठने से भी कुछ होने वाला नहीं है,हम सब को मिल कर अपने अपने तरीके से प्रयास तो करने ही होंगे।
Deleteहमारे देश के नेताओं और सताधिशों का ईमानदारी और नैतिकता जैसे शब्दों से तो कोई रिश्ता ही नहीं है !!
ReplyDeleteसार्थक लेख !!
सच कहा आपने।
Deleteनिरंतर पतन की ओर अग्रसर राजनीति
ReplyDeleteसच कहा आपने।
Deleteसुन्दर लेख मनोज जी
ReplyDeleteDinesh shukla जी,पोस्ट पर कमेन्ट के लिए आभार।
Deleteआज देश के पास ऐसे राजनेता भी नहीं जो लोगों को प्रेरणा दे सके.
ReplyDeleteअर्चना अग्रवाल जी,आपकी बात सही प्रतीत होती है।
DeleteGret Article
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