मनोज जैसवाल : नई दिल्ली.तीन हफ्ते पहले बोरिया बिस्तर समेत बाहर निकाले गए योग गुरु बाबा रामदेव रविवार को फिर दिल्ली पहुंचे गए।रामलीला मैदान में चार जून को पुलिस कार्रवाई में घायल राजबाला से जीबी पंत अस्पताल में मुलाकात करने के बाद बाबा रामदेव ने प्रेस कान्फ्रेंस में सरकार को जमकर खरी-खोटी सुनाई।
उन्होंने कहा कि सरकार भ्रष्टाचारी तो थी ही, अब अत्याचारी भी हो गई है। सरकार मजबूत लोकपाल कानून बनाना ही नहीं चाहती। जो कोई भी भ्रष्टाचार के खिलाफ है वे उसका समर्थन करेंगे। हालांकि उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि वे अन्ना हजारे के 16 अगस्त से प्रस्तावित अनशन में शामिल होंगे या नहीं।
राजबाला को मु्द्दा बनाते हुए रामदेव ने कहा, ‘राजबाला वेंटीलेटर पर हैं। यदि वे बच जाती हैं तो कभी चल नहीं पाएंगी। उन्हें शुरू में गलत उपचार दिया गया। वे अगर ठीक हो जाती हैं तो ये कोई चमत्कार ही होगा।’
उन्होंने कहा कि राजबाला के हाथों और पैरों में कोई मूवमेंट नहीं है। पीठ, पैर पर डंडों के चोट के निशान हैं। पुलिस ने डंडा नहीं मारा तो राजबाला के पीठ, पैर और कमर पर डंडे से वार किसने किया।
बाबा के आने-जाने पर रोक नहीं
दिल्ली पुलिस का कहना है कि बाबा रामदेव के आवागमन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। पुलिस उपायुक्त धर्मेंद्र कुमार ने कहा, ‘हम उन्हें क्यों रोकेंगे। उन्हें संवाददाता सम्मेलन बुलाने की अनुमति दी गई है।’
बाबा बरसे:
- भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को सताया जा सकता है, उन्हें मिटाया नहीं जा सकता है।
- अगर भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाना गुनाह है, तो हम लाख बार गुनाह करेंगे।
- मैं किसी पार्टी का मुखौटा नहीं हूं। कालाधन और भ्रष्टाचार का मुद्दा सबसे अहम। इसके लिए हमेशा आवाज उठाते रहेंगे।
- यदि मैं गलत था तो प्रधानमंत्री ने पत्र क्यों लिखा। बड़े-बड़े मंत्री मुलाकात करने क्यों आए?
- पुलिस उनकी हत्या करनी चाहती थी। जानवर की मौत नहीं मरना था, इसलिए भागा रामलीला मैदान से।
- मैं किसी राजनीतिक दल या संगठन का नहीं बल्कि देश के 120 करोड़ लोगों का मुखौटा हूं।
- मेरा कोई दल नहीं है। मैं किसी भी राजनीतिक दल से संबंध नहीं रखता।
- दुष्प्रचार करने वालों और गैर-जिम्मेदाराना बयान देने वालों की मुझे कोई परवाह नहीं।
- गांव, गरीब और भारत के विकास की बात करता हूं। इसके विरोधी मुझे जिंदा नहीं देखना चाहते।
- मैं गिरफ्तारी देने पहुंचा तो मुझे गिरफ्तार नहीं किया। मुझे आतंकी हमले का ईमेल भेजा गया। - एक लाख किलोमीटर की यात्रा में कोई हमला नहीं हुआ। रामलीला मैदान पर कौन-सा हमला होना था।
- क्या दिल्ली एक पार्टी के लोगों को रहने के लिए है। दूसरे लोग यहां नहीं रह सकते। अपनों के लिए मैंने तोड़ा अनशन
अनशन बीच में छोड़ने पर हुई आलोचना का जवाब देते हुए बाबा ने कहा कि ‘मैंने अनशन इसलिए नहीं तोड़ा कि मुझे जान का खतरा था। साधु-संत समाज के बहुत सारे सदस्यों ने मुझसे आग्रह किया था। फिर कई लोगों का कहना था कि वे तभी अनशन तोड़ेंगे जब मैं तोड़ूंगा। अत: मैंने अनशन खत्म किया था।’
थैले में 200 लाख करोड़ का हिसाब
बाबा ने कहा कि विदेशों में सारा धन सरकार और उसके सहयोगियों का है। अगर ऐसा नहीं है तो सरकार को पुलिस कार्रवाई करने की जगह उस धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना चाहिए था। उन्होंने एक थैले की तरफ इशारा करते हुए बताया के इसमें सरकार के 200 लाख करोड़ रुपए के कालेधन का हिसाब है। सरकार को इसका हिसाब देना चाहिए।PTI
उन्होंने कहा कि सरकार भ्रष्टाचारी तो थी ही, अब अत्याचारी भी हो गई है। सरकार मजबूत लोकपाल कानून बनाना ही नहीं चाहती। जो कोई भी भ्रष्टाचार के खिलाफ है वे उसका समर्थन करेंगे। हालांकि उन्होंने स्पष्ट नहीं किया कि वे अन्ना हजारे के 16 अगस्त से प्रस्तावित अनशन में शामिल होंगे या नहीं।
राजबाला को मु्द्दा बनाते हुए रामदेव ने कहा, ‘राजबाला वेंटीलेटर पर हैं। यदि वे बच जाती हैं तो कभी चल नहीं पाएंगी। उन्हें शुरू में गलत उपचार दिया गया। वे अगर ठीक हो जाती हैं तो ये कोई चमत्कार ही होगा।’
उन्होंने कहा कि राजबाला के हाथों और पैरों में कोई मूवमेंट नहीं है। पीठ, पैर पर डंडों के चोट के निशान हैं। पुलिस ने डंडा नहीं मारा तो राजबाला के पीठ, पैर और कमर पर डंडे से वार किसने किया।
बाबा के आने-जाने पर रोक नहीं
दिल्ली पुलिस का कहना है कि बाबा रामदेव के आवागमन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। पुलिस उपायुक्त धर्मेंद्र कुमार ने कहा, ‘हम उन्हें क्यों रोकेंगे। उन्हें संवाददाता सम्मेलन बुलाने की अनुमति दी गई है।’
बाबा बरसे:
- भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को सताया जा सकता है, उन्हें मिटाया नहीं जा सकता है।
- अगर भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाना गुनाह है, तो हम लाख बार गुनाह करेंगे।
- मैं किसी पार्टी का मुखौटा नहीं हूं। कालाधन और भ्रष्टाचार का मुद्दा सबसे अहम। इसके लिए हमेशा आवाज उठाते रहेंगे।
- यदि मैं गलत था तो प्रधानमंत्री ने पत्र क्यों लिखा। बड़े-बड़े मंत्री मुलाकात करने क्यों आए?
- पुलिस उनकी हत्या करनी चाहती थी। जानवर की मौत नहीं मरना था, इसलिए भागा रामलीला मैदान से।
- मैं किसी राजनीतिक दल या संगठन का नहीं बल्कि देश के 120 करोड़ लोगों का मुखौटा हूं।
- मेरा कोई दल नहीं है। मैं किसी भी राजनीतिक दल से संबंध नहीं रखता।
- दुष्प्रचार करने वालों और गैर-जिम्मेदाराना बयान देने वालों की मुझे कोई परवाह नहीं।
- गांव, गरीब और भारत के विकास की बात करता हूं। इसके विरोधी मुझे जिंदा नहीं देखना चाहते।
- मैं गिरफ्तारी देने पहुंचा तो मुझे गिरफ्तार नहीं किया। मुझे आतंकी हमले का ईमेल भेजा गया। - एक लाख किलोमीटर की यात्रा में कोई हमला नहीं हुआ। रामलीला मैदान पर कौन-सा हमला होना था।
- क्या दिल्ली एक पार्टी के लोगों को रहने के लिए है। दूसरे लोग यहां नहीं रह सकते। अपनों के लिए मैंने तोड़ा अनशन
अनशन बीच में छोड़ने पर हुई आलोचना का जवाब देते हुए बाबा ने कहा कि ‘मैंने अनशन इसलिए नहीं तोड़ा कि मुझे जान का खतरा था। साधु-संत समाज के बहुत सारे सदस्यों ने मुझसे आग्रह किया था। फिर कई लोगों का कहना था कि वे तभी अनशन तोड़ेंगे जब मैं तोड़ूंगा। अत: मैंने अनशन खत्म किया था।’
थैले में 200 लाख करोड़ का हिसाब
बाबा ने कहा कि विदेशों में सारा धन सरकार और उसके सहयोगियों का है। अगर ऐसा नहीं है तो सरकार को पुलिस कार्रवाई करने की जगह उस धन को राष्ट्रीय संपत्ति घोषित करना चाहिए था। उन्होंने एक थैले की तरफ इशारा करते हुए बताया के इसमें सरकार के 200 लाख करोड़ रुपए के कालेधन का हिसाब है। सरकार को इसका हिसाब देना चाहिए।PTI
धन्यबाद,आप पर और लिखे
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