प्रेषक-मनोज जैसवाल-चेन्नै।। महिला और बाल विकास मंत्रालय ने 'प्रोटेक्शन ऑफ सेक्शुअल ऑफेन्सेस बिल 2010' के ड्राफ्ट में कही गई बातों से अपना पल्ला झाड़ते हुए टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर को खारिज किया है। इस खबर पर मंत्रालय ने सफाई देते हुए कहा है कि कैबिनेट के सामने जो ड्राफ्ट रखा गया है उसमें सेक्स के लिए सहमति की आयु 16 वर्ष रखी गई है, न कि 12 वर्ष।
कल छपी खबर में इस ड्राफ्ट में कही गई बातों का हवाला देते हुए कहा गया था कि इंटरकोर्स किए बिना सेक्स करने की आयु को घटा कर 12 साल किए जाने की सिफारिश की गई है। मंत्रालय का कहना है कि टीओआई की खबर में जिस ड्राफ्ट का हवाला दिया गया है, वह लगता है नैशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ( NCPCR) द्वारा तैयार किए गए एक ड्राफ्ट का हिस्सा है।
वैसे इस बारे में जब सुप्रीम कोर्ट की वकील अपर्णा भट से बात की गई तो उन्होंने बताया, बच्चों में सेक्स संबंधी आपसी सहमति की आयु कम करने के पीछे उद्देश्य यह है कि बच्चों के बीच 'सेक्शुअल एक्स्प्लरेशन यानी उत्सुकतावश की जाने वाली खोजबीन या जिज्ञासा को अपराध की श्रेणी में न रखा जाए।'
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जो उसके पास भेजे गए ड्राफ्ट के सेक्शन नंबर 3 में सेक्स संबंधी आपसी सहमति की आयु 16 बरस रखी गई है। यानी, 16 से 18 साल की आयु के किसी बच्चे का यदि यौन शोषण होता है तो इस बात पर गौर किया जाएगा कि इसके लिए उसकी सहमति ली गई थी या नहीं।
तमिलनाडु सरकार के सूत्रों के अनुसार, NCPCR ने पहले आपसी सहमति की उम्र 12 साल करने की सिफारिश की थी और यह सिफारिशी ड्राफ्ट मिनिस्ट्री द्वारा कई राज्यों को भेजा भी गया था। लेकिन, बाद में इसकी जगह दूसरा ड्राफ्ट भेजा गया जिसमें यह आयु आईपीसी के तहत 16 से 18 करने की बात की गई थी। यह बाद वाला ड्राफ्ट ही असल में वह ड्राफ्ट है जो मिनिस्ट्री ऑफ लॉ से बातचीत के बाद कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया।
दरअसल, 12 साल की उम्र वाले मुद्दे पर चाइल्ड ऑर्गनाइजेशन्स को आपत्ति थी। दिल्ली की चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के चेयरपर्सन राजमंगल प्रसाद का कहना है, 'सरकार इस मामले से पल्ला नहीं झाड़ सकती क्योंकि NCPCR कोई भी ड्राफ्ट सीधे राज्यों के पास नहीं भेजा सकता। मिनिस्ट्री ने खुद NCPCR को बिल ड्राफ्ट करने को कहा था।
manojjaiswalpbt@gmail.com'
कल छपी खबर में इस ड्राफ्ट में कही गई बातों का हवाला देते हुए कहा गया था कि इंटरकोर्स किए बिना सेक्स करने की आयु को घटा कर 12 साल किए जाने की सिफारिश की गई है। मंत्रालय का कहना है कि टीओआई की खबर में जिस ड्राफ्ट का हवाला दिया गया है, वह लगता है नैशनल कमिशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स ( NCPCR) द्वारा तैयार किए गए एक ड्राफ्ट का हिस्सा है।
वैसे इस बारे में जब सुप्रीम कोर्ट की वकील अपर्णा भट से बात की गई तो उन्होंने बताया, बच्चों में सेक्स संबंधी आपसी सहमति की आयु कम करने के पीछे उद्देश्य यह है कि बच्चों के बीच 'सेक्शुअल एक्स्प्लरेशन यानी उत्सुकतावश की जाने वाली खोजबीन या जिज्ञासा को अपराध की श्रेणी में न रखा जाए।'
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि जो उसके पास भेजे गए ड्राफ्ट के सेक्शन नंबर 3 में सेक्स संबंधी आपसी सहमति की आयु 16 बरस रखी गई है। यानी, 16 से 18 साल की आयु के किसी बच्चे का यदि यौन शोषण होता है तो इस बात पर गौर किया जाएगा कि इसके लिए उसकी सहमति ली गई थी या नहीं।
तमिलनाडु सरकार के सूत्रों के अनुसार, NCPCR ने पहले आपसी सहमति की उम्र 12 साल करने की सिफारिश की थी और यह सिफारिशी ड्राफ्ट मिनिस्ट्री द्वारा कई राज्यों को भेजा भी गया था। लेकिन, बाद में इसकी जगह दूसरा ड्राफ्ट भेजा गया जिसमें यह आयु आईपीसी के तहत 16 से 18 करने की बात की गई थी। यह बाद वाला ड्राफ्ट ही असल में वह ड्राफ्ट है जो मिनिस्ट्री ऑफ लॉ से बातचीत के बाद कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेजा गया।
दरअसल, 12 साल की उम्र वाले मुद्दे पर चाइल्ड ऑर्गनाइजेशन्स को आपत्ति थी। दिल्ली की चाइल्ड वेलफेयर कमिटी के चेयरपर्सन राजमंगल प्रसाद का कहना है, 'सरकार इस मामले से पल्ला नहीं झाड़ सकती क्योंकि NCPCR कोई भी ड्राफ्ट सीधे राज्यों के पास नहीं भेजा सकता। मिनिस्ट्री ने खुद NCPCR को बिल ड्राफ्ट करने को कहा था।
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